SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 349
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५५२ परिच्छेदः १४ परंपराथी यावत् प्रमारा गुरुने उपदेशे करी प्राव्यो ते करीने बीजी थुई करिये बीये; अथवा एक श्लोकनी पेहेनी, बे नोकनी बीजी, त्रण श्लोकनी त्रीजी, ते समाप्त था पी कालप्रतिलेखना ते विधि एम बे ॥ ए पाठां देवसी प्रतिक्रमणनी विधि सामायिकथी ते वईमान त्रण स्तुति पर्यंत बे; पण आदिमां चोथी थुइ सहित त्रण थुना देववंदन तथा श्रुत क्षेत्र देवताना कायोत्सर्ग स्तुति कह्यां नथी; तेमज पूर्वधराचार्यकृत यावश्यक चूर्ण तथा निशीथ चूर्णि व्यवहार सूत्र वृत्ति च्यावश्यकावचूरी श्रावश्यक दीपिकादिकमां ॥ प्रहपुरागाहा ॥ जइ पुरानिवाघान इत्यादि गाथाए करी पूर्वोत सादृश्य पाठे करी देवसी प्रतिक्रमणनी विधिमांखाद्यंत चोथी थु सहित चैत्यवंदना तथा श्रुत क्षेत्र देवताना कायोत्सर्गादिकथन करया नथी । इत्यादि पूर्वोक्त अनेक पंचांगांना ग्रंथोमां सामान्य विशेषे देवसि प्रतिक्रमणविधिनुं कथन करयुं वे पण यादिमां सामान्य विशेष विधिए चैत्यवंदना कही नथी, ते पूर्वघर तथा पूर्वधर निकट कालवर्त्ति श्राचार्योंने वारे जिनगृहमां चैत्यवंदन करी प्रतिक्रमण करता, तेथी देवसि प्रतिक्रमगाना याद्यंतमां चैत्यवंदननो तथा पाक्षिकचातुर्मासिक सांवत्सरिक प्रतिक्रमण विना क्षेत्र देवी भुवनदेवीनो
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy