SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 305
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिजेदः १३ शेष तप विधि रूढीथी जाणवी; ए गाथार्थ डे ॥ अथ देवताने उद्देशीने यथोक्त विधीयमान तप केम थाय एवी आशंका करीने कहेले के ॥जे तपमां कषायनो निरोध होय,ब्रह्मचर्यपालन जिनपूजन होय, अने अनशन कहे. तां नोजननो त्याग होय, ते सर्व तपविशेष एटले ए सर्व तप नोला लोकोमां होय बे; केमके नोला लोक प्रथम एवा तपमा प्रवृत्त थया थका अभ्यासना बलथी पली कर्मक्ष्य करवा वास्ते पण तप करवामां प्रवृत्त थाय बे. परंतु प्रथमथीज कर्मक्ष्य करवा वास्ते नोना होवा. थी प्रवृत्त थता नथी. अने जे सद्बुध्विाला ने ते तो मोक्ने अर्थेज सर्व अनुष्ठान करवां एवी बुद्धिए करीने तप करे, अर्थात् कर्म दय करवानेज तप करे, पण संसार प्राशंसाए देवता उद्देशाने तप न करे ॥ यदाह ॥ उत्तम पुरुषोनी जे मति ने ते मोदार्थमांज घटेने अने मोक्षार्थनी जे घटना ते आगम विधिए करीनेज ने, केमके आगम विधि विना जे प्रालंबन ले ते सर्व अनाजोग हेतु एटले अजाण हेतु ॥ ए गाथार्थ ॥ ए पूर्वोक्त कथनथी एम न जाणवू के देवताओने उद्देशीने जे तप करवा ते नोला लोकोने सर्वथा निःफल , अथवा या लोकनुंज फल दे, किंतु चारित्रनो पण हेतु दे.हवे ए तप चारित्रनो हेतु केवी रीते ने ते देखाडे जे ॥ एम
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy