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________________ १५४ हो के प्रधान कार्य मह परिच्छेदः ६ प्रश्न-ए पूर्वोक्त ग्रंथ पंचांगी विनाना तमे प्रमाण करोडो के नथी. उत्तर-अमो प्रधान नैगमादि नय विशारद श्रीमदहरिनद्राचार्य प्रमुख पूर्वाचार्य महाराजना वचनथी प्रर्वधर अनुकरण अर्थे सर्वग्रंथ प्रमाण करीए बीए ने निर्वद्य समाचारी विशेष अधिकि नलि होय तेने दूषता नथी पण कर्तव्यतातो पूर्वधरादि अनुयायि परंपराए आपत्ति थायबे केमके सर्व ग्रंथमां कहेली जे निन्न । समाचारी ते सर्वे अवश्य नावे करवी एवा शास्त्रमा अदर देखाता नथी अने जे पूर्वधरादि अनुयायि परंपरा आपत्ति न माने तेने तो जे ग्रंथमा जे समाचारि कहि होय ते सर्वे करवि जोएं।तथाचोक्तं श्रीसेनप्रश्ने॥ ॥ तत्पातः ॥ खाद्याः कथयंत्यस्माकं पौषधिकाः रात्रेस्तुर्ययामे समुबाय पौषधमध्ये सामायिकं कुर्वति तदक्षाणि च प्रतिक्रमणसूत्रचूर्णौ संति तेन श्रीमतां श्रीपूज्याः सामायिकं कथं न कारयंतीति प्र० रात्रिपौषधमध्ये पश्चात्यरात्री सामायिककरणमाश्रित्य यानि चूर्ण्याणि संति तानि सामाचारीविशेषेण समर्थनीयानि नतु दूषणीयानि तस्याः शिष्टकतत्वात् न चात्मनां तदनदर्शनेन तत्कर्त्तव्यतापत्तिः सर्वेपि समाचारीविशे
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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