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________________ परिच्छेदः ६ ७१ ॥ ६० ॥ समाचारी तिलकाचार्य कृत. एबे ग्रंथ एकज बे एमां सम्यक्कदेशविरति यारोपणार्थ नंदिकरणावसरे प्रथम त्रण थुइएं देव वांदि पढे शांतिनाथ आराधनार्थे वंदावत्तियाए कायोत्सर्गकरी श्रुतदेवी द्वादशांगजिनवाणी शासनदेवी प्रमुख समस्त वैयावच्चकारक देवतानंने झापन करवा तेनुंनि साहिने अर्थे कायोत्सर्ग करी चतुर्विंशतिस्तव श्रुतस्तव कायोत्सर्ग अंते थुइ बे एटले त्रण थुइना जोमला बे ने बीजाकायोत्सर्गना अंतमां थुइ ६ एटले शांतिनायादिवथुर ने बे श्रतदेवी द्वादशांगीनि कहेवी कही पण एकांते च्यार थइ कही नथी ने प्रतिक्रमण गवतां कुमा० इवा० पमिक्कमलइ गजं श्वं कुमा० "सवस्सवि राज्य चिंतियनासियं चिठियह मणिवचणिकायाइंमिचामिकमं” एवि रीते पाठ बोजवो कह्योबे ने राइ पक्किमणना अंतमां शक्रस्तवें पूर्णाचैत्यवंदना कहीबे तथा देवसि प्रतिक्रमण समाप्ति मंगल त्रण थुइनुं करी शक्रस्तव स्तोत्र कही एकखन कम्मखन० कायोत्सर्ग करी सिझाय करवी कही बे पण दे १४२
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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