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परिच्छेदः ६
बे ने नवप्रकारे चैत्यवंदना कहीले तेमां प्रतिक्रमना याद्यंतें देव वंदन सामान्य प्रकारे कह्युं बे वली देवसि प्रतिक्रमणमां देवसिय प्रायचित कायोत्सर्ग पढे क्षुद्रोपद्रव उमावरणीय कायोत्सर्ग करी खमासम वे देइ सझाय संदिसावि नवकार त्रण कहि पार्श्वनाथ प्राराधनानो व्यार लोगस्सनो कायोत्सर्गकरि शेष प्रतिक्रमणविधि करवो कह्यो बे वली एग्रंथमां प्रातः संध्या प्रतिक्रमणविधि ने पोसह उपधान देवपूजा दीक्षा दि जे जेविधि विधान कह्यो बे ते प्रमाणे श्रात्मारामजी यानंद विजयजी मानता नथी ने करता पण नथी.
६८ ॥ ५३ ॥ बृहत्खरतर समाचारी जिनपत्यादि सूरिकृत.
मां महावीरस्वामिना षट्कल्याणक तथा श्रावकने सामायिक लेतां प्रथम करेनिंत्ते त्राणवार उच्चरी पढे इरियावही करवी कही बे ने प्रतिक्रम
ना श्राद्यंत चैत्यवंदन देवगृहमां करवां कह्यांबे वली शांति प्रतिक्रमणमां कहेवी कही नथी ने