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आभ्यंतर परिणाम अवलोकन-संस्मरणपोथी ?
[ संस्मरण-पोथी १, पृष्ठ ११३]
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लोकसंस्थानः?...: : :...... ......... ... धर्म-अधर्म अस्तिकायरूप द्रव्य ? ...... स्वाभाविक अभव्यत्व ? ....... . . . .
.:: :
.....
: :... अनादि-अनंतका ज्ञान किस तरह ?
'आत्मा संकोच-विकाससे?
सिद्ध ऊर्ध्वगमन-चेतन; खंडवत् क्यों नहीं ? ... केवलज्ञानमें लोकालोकका ज्ञातत्व किस तरह ?
लोकस्थितिमर्यादा हेतु ?' . . शाश्वतवस्तुलक्षण ?
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.....
..... उस उस स्थानवर्ती सूर्य चंद्र आदि वस्तु,
अथवा नियमित गतिहेतु ? ...
दुषम सुषमादि काल ?,' - मनुष्य उच्चत्वादि प्रमाण ? ... अग्निकायादिका निमित्तयोगसे एकदम उत्पन्न होना? . . . . . . . .
एक सिद्ध वहाँ अनंत सिद्ध अवगाहना? ....... .. . . '५३ -
[संस्मरण-पोथी १, पृष्ठ ११४] ., हेतु अवक्तव्य ? . . एकमें पर्यवसान किस तरह हो सकता है ?
. . . . . . . एकम पयवसान किस तरह हो सकता है? ....... अथवा नहीं होता ? - ..
. व्यवहार रचना की है, ऐसा किसी हेतुसे सिद्ध होता है ? .. .
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. .
स्वस्थिति-आत्मदशाके संबंधमें विचार। .
[संस्मरण-पोथी १, पृष्ठ ११५] __ तथा उसका पर्यवसान ?
......... उसके बाद लोकोपकार प्रवृत्ति ? . . . ... ........लोकोपकारप्रवृत्तिका नियम । .
वर्तमानमें (अभी) किस तरह प्रवृत्ति करना उचित है ? ...
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संस्मरण-पोवो १, पृष्ठ ११७] . आत्मपरिणामकी विशेष स्थिरता होनेके लिये वाणी और कायाका संयम उपयोगपूर्वक करना योग्य है। . . . . . ..