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३३ वा वर्ष
प्र-ज्ञानप्रज्ञासे जानी हुई सर्व वस्तुका प्रत्याख्यानप्रज्ञासे जो प्रत्याख्यान करता है उसे पडित कहा है। ,
. , । । उ०-वह यथार्थ है। जिस ज्ञानसे परभावके मोहका उपशम अथवा क्षय न हुआ हो, वह ज्ञान 'अज्ञान' कहने योग्य है अर्थात् ज्ञानका लक्षण परभावके प्रति उदासीन होना है। ,
प्र०--जो एकात ज्ञान मानता है उसे मिथ्यात्वी कहा है। . .. उ०-वह यथार्थ है।
प्र.-जो एकात क्रिया मानता है उसे मिथ्यात्वी कहा है। उ०-वह यथार्थ है।
प्र०-मोक्ष जानेके चार कारण कहे है। तो क्या उन चारमेसे किसी एक कारणको छोड़कर मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है या सयुक्त चार कारणसे ?
उ०-ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप ये मोक्षके चार कारण कहे है, वे परस्पर अविरोधरूपसे प्राप्त होनेपर मोक्ष होता है। २. प्र०-समकित अध्यात्मकी शैली किस तरह है ?
उ०-यथार्थ समझमे आनेपर परभावसे आत्यतिक निवृत्ति करना यह अध्यात्ममार्ग है। जितनी जितनी निवृत्ति होती है उतने उतने सम्यक् अंश होते हैं । । ''प्र०-'पुद्गलसें रातो रहे', इत्यादिका क्या अर्थ है ? .. .
उ०-पुद्गलमे आसक्ति होना मिथ्यात्वभाव है। ' प्र.--'अतरात्मा परमात्माने घ्यावे', इत्यादिका क्या अर्थ है ?
उ०-अतरात्मरूपसे यदि परमात्मस्वरूपका ध्यान करे तो परमात्मा हो जाते हैं। ' 'प्र०-और अभी कौनसा ध्यान रहता है ? इत्यादि ।'.'' उ6-सद्गुरुके वचनका वारंवार विचार कर, अनुप्रेक्षण कर परभावसे आत्माको असंग करना।
प्र०-मिथ्यात्व (?) अध्यात्मकी प्ररूपणा आदि लिखकर आपने पूछा कि वह यथार्थ कहता है या नही ? अर्थात् समकिती नाम धारणकर विषय आदिकी आकाक्षा और पुद्गलभावका सेवन करनेमे कोई बाधा नही समझता, और 'हमे बध नही है'-ऐसा जो कहता है, क्या वह यथार्थ कहता है ?
''उ०-ज्ञानीके मार्गकी दृष्टि से देखते हुए वह मात्र' मिथ्यात्व ही कहता है। पुद्गलभावसे भोगे और ऐसा कहे कि आत्माको कर्म नही लगते तो वह ज्ञानीको दृष्टिका वचन नही, वाचाज्ञानीका वचन है।
प्र०-जैनदर्शन कहता है कि पुद्गलभावके कम होनेपर आत्मध्यान फलित होगा, यह कैसे ? । उ०—वह यथार्थ कहता है । प्र०-स्वभावदशा क्या फल देती है ? उ०-तथारूप सपूर्ण हो तो मोक्ष होता है। प्र०-विभावदशा क्या फल देती है ? उ०-जन्म, जरा, मरण आदि ससार ।। प्र०-वीतरागकी आज्ञासे पोरसीका स्वाध्याय करे तो क्या फल होता है ? उ.-तथारूप हो तो यावत् मोक्ष होता है । प्र०-वीतरागकी आज्ञासे पोरसीका ध्यान करे तो क्या फल होता है ? उ०-तथारूप हो तो यावत् मोक्ष होता है।