SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७वें वर्षसे पहले शक्ति शिशुने आपशो, भक्ति मुक्तिनु दान । तुज जुक्ति जाहेर छे, भयभजन भगवान ॥ १४ ॥ नीति प्रोति नम्रता, भली भक्तिनु भान । आर्य प्रजाने आपशो, भयभंजन भगवान ॥१५॥ दया शाति औदार्यता, धर्म मर्म मनध्यान। . सप जंप..वण कंप दे, भयभजन भगवान ॥१६॥ हर आळस एदीपणु, हर अघ ने अज्ञान। हर भ्रमणा भारत -तणी, भयभंजन भगवान ॥ १७॥ , तन, मन, धन ने अन्ननु, दे सुख सुधा समान। आ अवनी- कर भलु, भयभजन भगवान ॥१८॥ विनय विनति रायनी, धरो कृपाथी ध्यान । मान्य करो महाराज ते, भयभंजन भगवान ॥ १९॥' धर्म विषे. कवित . दिनकर विना जेवो, दिननो देखाव दीन, शशि विना जेवी जोजो, शर्वरी सुहाय छ; , प्रतिपाळ विना जेवी, प्रजा पुरतणी पेखो, सुरस विनानी जेवी, कविता कहाय छे; सलिल विहीन जेवी सरितानी शोभा अने, भरि विहीन जेवी भामिनी भळाय छे; 'वदे रायचद वीर एम धर्ममर्म विना, 'मानवी महान ' पण, कुकर्मी' कळाय छे ॥२०॥ (अपूर्ण) १४ हे भयभजन भगवान । तेरी युक्ति प्रसिद्ध है । शिशुको शक्ति, भक्ति और मुक्तिका दान दे । १५ हे भयभजन भगवान । तू नीति, प्रीति, नम्रता और सद्भक्तिका ज्ञान आर्य प्रजाको दे । १६ हे भयभंजन भगवान । तू आर्य प्रजाको दया, शाति, उदारता, धर्म-मर्मका ध्यान, एकता और निश्चल शाति दे। १७ हे भयभजन भगवान | तू भारतका आलस्य एवं अकर्मण्यता दूर कर, और पाप, अज्ञान तथा भ्रान्ति दूर कर। १८ हे भयभजन भगवान | तन, मन, धन तथा अन्नका सुधाके समान सुख दे । इस विश्वका भला कर । १९ हे भयभजन भगवान । रायचदकी सविनय विनति पर कृपया ध्यान दे, हे महाराज | उसे मान्य कर। , २० देखिये, दिनकरके विना जैसे दिन निस्तेज दीखता है, शशिके बिना जैसे रात शोभाहीन लगती है, प्रतिपाल-रक्षकके बिना जैसे नगरकी प्रजा सुरक्षित नहीं है, सुरसके बिना जैसे कविता नीरस कहलाती है, जलके विना जैसे नदी शोभित नही होती, पतिके बिना जैसे स्त्री दुखी होती है, वैसे, रायचद कहते है कि वीर भगवानके धर्मका मर्म जाने बिना महान मानव भी अधार्मिक-पापी समझा जाता है । (अपूर्ण)
SR No.010840
Book TitleShrimad Rajchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Jain
PublisherShrimad Rajchandra Ashram
Publication Year1991
Total Pages1068
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Rajchandra
File Size49 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy