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________________ যাৱাকালিমা निश्चित रूप से नहीं जानते। उसके काल की पर और अपर सीमाओं में पांच सौ वर्षों का अन्तर पाया जाता है। वह बडा भारी विद्वान और अपने काल में प्रचलित सकल विद्याओं का, जिनमें राजधर्म, ज्योतिष पोर कामशास्त्र भी सम्मिलित है, बड़ा पण्डित था। पता लगता है कि कालिदास माटककार, गीतिकाव्यकर्ता और महाकाव्यनिर्माता था। उसके नाम से प्रचलित प्रन्यों की संख्या अच्छी बड़ी है। उनमें से निम्नलिखित अन्य अधिक महत्त्व के हैं और विस्तृत वर्णन के अधिकारी है :---. (१) मालविकाग्निमिन्न । (२) विमोवंशीय । नाटक (३) अमिज्ञान शाकुन्तल।) (४) ऋतुसंहार । गीतिकाव्य (५) मेघदूत। (६) कुमारसम्भव । (पहले ८ सर्ग) महाकाव्य (७) रघुवंश। (१) मालविकाग्निमित्र-- विलसन ने इस प्रन्ध के कालिदास कृत होने में सन्देह प्रकट किया था, किन्तु विलसन के बाद अक्षिक अनुसन्वानों से यह सिद्ध हो चुका है कि यह माटक कालिदास की हो कृति है। जिन आधारों पर यह कालिदास की रचना मानी जाती है वे अ---स्तलिखित प्रतियों का साचय, श्रा-प्रस्तावना में श्राई हुई बातं, इ-प्राभ्यन्तरिक साचच (यथा अमर झारपूर्ण उपमाएँ), ई--पात्रों का चरित्र-चित्रण (प्रत्येक पान का चरित्र कालिदास की शैली के अनुरूप है)।
SR No.010839
Book TitleSanskrit Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Agrawal, Lakshman Swarup
PublisherRajhans Prakashan
Publication Year1950
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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