SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 111
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सस्कृत साहित्य का इतिहास (७) चाणक्य के अर्थशास्त्र में और अशोक के शासन-लेखों में कुछ एक एक जैसे विधान पाये जाते हैं। उदाहरण के लिए चक्रवाक, शुरु और शारिका इत्यादि पक्षियों की हत्या करना वर्जित है, सवाइयो के काम में श्रानेवाले पौधों का बोना और सड़कों तथा पगडशिडयों के किनारे कुओं का खुदवाना विहित है। ८) कोई कोई कहते हैं कि इस अर्थशास्त्र की शैली एवं बाहा रूपरेखा से प्रतीत होता है कि यह जितना प्राचीन माना जाता है उतना प्राचीन नहीं हो सकता है। परन्तु ऐसा कहने वालों को जानना चाहिए कि अन्य के भूनपाड मे ही ज्ञात होता है कि असली ग्रन्थ छै इजार श्लोकों और डेढ़ सौ अध्यायों के रूप में था; किन्तु आजकल के अधलिस ग्रन्थ में काफी गद्य मी है। इस समस्या को सुलझाने के लिए किसी किती ने एक आसान उपाय बनाते हुए कहा है कि इस अर्थशास्त्र के बाह्य रूप-रग में ईसा की प्रारम्भिक शताब्दियों में कुछ परिवर्तन हुआ है। इसका समर्थन करने वाली बात यह कि दण्डी ने पहले के सबलेखकों से अर्थशास्त्र के जितने भी उद्धरण दिए हैं वे सब श्लोक-बलू और दण्डी के बाद के लेखको द्वारा दिए हुए उन्हरण गद्यात्मक हैं। अनुमान किया जाता है कि सूत्रारमक मन्ध लिखने की प्रथा ईसा की पाँचीं शताब्दी में प्रारम्भ हुई होगी जब याज्ञवल्क्य स्मृति ( जगभग ३१० ई.) तैयार हो चुकी थी। किन्तु इस 'परिवर्तन -'बाद के प्रवर्तकों ने यह नहीं बताया कि यह परिवर्तन किसने किया, क्यों किया, और किल के नाम के लिए किया? विश्वास तो यह है कि इस अर्थशास्त्र के सार्वभौम सादर ने समय और प्रल्हेरकों के ध्वसकारी हाथ से इम्पकी रक्षा अवश्य की होगी। इसी के साथ एक बात और भी है। कौटलीय अर्थशास्त्र के प्रारम्भ में सुव्यवस्थित एक प्रकरणानुक्रमणिका दी गई है तथा इसकी रचना पहले से ही अच्छी तरह तैयार किए हुए एक ढाँचे पर हुई प्रतीत होती है। निस्सन्देह,भारत में जाल-साजी का मार काफी गर्म मह चुका है, परन्तु इनका म 'भलामानू' का या मनु,
SR No.010839
Book TitleSanskrit Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Agrawal, Lakshman Swarup
PublisherRajhans Prakashan
Publication Year1950
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy