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केशव मिश्र ने भी मृगया वर्णन पर अपने विचार व्यक्त किए है मृगया मे वन्य प्राणियों के सचरण जुगाली तथा आखेटकों के नील परिधान का वर्णन करना चाहिए मृगों की अधिकता एव मृग त्रास का भी आखेट मे महत्वपूर्ण स्थान है । हिसक प्राणियों के प्रतिदोह तथा उनकी तीव्र गति का प्रतिपादन करना भी मृगया के वर्णन मे औचित्यपूर्ण बताया गया है । इन्होंने आखेटकों के नील वेष की चर्चा करके, अजित सेन की अपेक्षा एक नवीन विचार प्रस्तुत किया है । ।
अश्व के वर्णनीय विषय -
गज के वर्णनीय विषय -
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वर्णन मे तीव्र वेग, देवमणि, अश्व शुभ वाह्लीक आदि जातियों तथा उच्चता आदि पूर्ववर्ती आचार्यों ने प्राय नहीं की है ।
अजितसेन के अनुसार अश्व के लक्षण, रेचकादि पाँच प्रकार की गतियाँ, का वर्णन अपेक्षित है । 2 इसकी चर्चा परवर्ती आचार्यों मे केशव मिश्र के अनुसार अश्व का वेग, औनत्य, तेज एव उसके उत्तम लक्षण का निरूपण करना चाहिए । इसके अतिरिक्त उसकी जाति, वैचित्र्य, खुरोत्पारित धूलि समूह का भी वर्णन करना चाहिए | 3
गज
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गज वर्णन के प्रसग मे
मुक्ता, गण्डस्थल तथा
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शत्रु
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गज - मद तथा उन पर भ्रमरों का आकर्षण, निर्मित व्यूह को तोडने का वर्णन करना
मृगयाया च संचारो वागुरा नीलवेषता । मृगाधिक्य मृगासो हिस्रद्रोहो गतित्वरा ।।
अश्वे वेगित्वसल्लक्षगतिजात्युच्चतादय ।
अश्वे वेगित्वमोन्नत्य तेज सल्लक्षणस्थिति खुरोत्खातरज प्रौढिर्जातिर्गतिविचित्रता ।।
गजेऽरिव्यूह भेदित्वकुम्भमुक्तामदाल ।
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