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इसके अतिरिक्त वेद मे भी ऐसे अनेक स्थल प्राप्त होते है जहाँ अलकार के लिए 'अलकृत' या 'अलकृति' पदो पदो का उल्लेख प्राप्त होता है । '
शतपथ ब्राह्मण मे स्पष्ट रूप से 'अलकार' पद का उल्लेख प्राप्त होता है | 2 वेदो मे अलकार तत्व :
आलकारिक तत्वों की उपलब्धि वैदिक ऋचाओं मे दर्शनीय है । उषा विषयक
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ऋचा मे चार उपमाएँ एक साथ दी गयी है ।
निरुक्त मे उपमा निरुक्तकार यास्क ने पाच प्रकार की उपमाओ का उल्लेख किया है । उपमा द्योतक निपात् इव, यथा, चित्, न, उ और आ है । इन वाचक पदों के प्रयोग मे यास्क के अनुसार कर्मोपमा होती है 14
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(क) वायवायाहि दर्शतेमेसोमा अरकृता । ऋग्वेद 1,2,1
(ख) अस्यरकृति सूक्ते । वही, 7, 29, 3
(ग) तवमग्ने द्रविणोदा अरकृते । वही, 2, 1, 7
आ जनाम्य जनेप्रयच्छन्त्येषा हमानुषो लकारस्तेनैव त मृत्युमन्तर्दधते शतपथब्रा०
DIO, 13/8/7, पृ० 1792
ऋग्वेद, 1/124/6
(क) निरुक्त 3/15
(ख) वही 3 / 13