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प्रगल्भा धीराधीरा
रहस्यपूर्ण कुटिल शब्द का प्रयोग करती है ।
नायिकाओं के उपर्युक्त भेद का प्रतिपादन अलकार चिन्तामणि में श्लोक 5/337 से 5/360 तक किया गया है । इन भेदों पर दशरूपककार का स्पष्ट प्रभाव परिलक्षित होता है । '
उपर्युक्त नायक-नायिकाओं के भेद निरूपण के पश्चात् आचार्य अि सेन ने नायिकाओं के अन्य आठ भेदों का उल्लेख किया है जो प्राय सभी नायिकाओं में साधारण रूप से प्राप्त होते हैं । इनके नाम इस प्रकार है 2 -
स्वाधीनपतिका वासकसज्जिका कलहान्तरा, खण्डता, विप्रलब्धा, प्रोषितभर्तृका, विरहोत्कण्ठिता तथा अभिसारिका ।
उपर्युक्त आठ प्रकार की नायिकाओं का उल्लेख नाट्य शास्त्र में भी प्राप्त होता है 13
स्वाधीनपतिका
कहते 1
-
कलहान्तरिता
वाकसज्जिका. -
प्रियतम के आगमन को सुनकर स्वयं को सजाने सवारने वाली नायिका को वासकसज्जिका कहते हैं ।
1.
2
सदा पति के समीप और अधीन रहने वाली नायिका को स्वाधीनपतिका
अपने प्रियतम को पास से हटाकर पश्चात् जो अफसोस करती है, उसे कलहान्तरिता नायिका कहते हैं ।
3
-
द0रू0, 2/14 उत्तरार्द्ध से 2/22 तक
अ० चि०, 5/361, 62
द्रo 5/363 से 375 तक
ना०शा०, 24 / 203, 204