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लोकन्याय मूलक.-
गूढार्थप्रतीति मूलक -
प्रत्यनीक, प्रतीप, मीलित, सामान्य, तद्गुण, अतद्गुण, उत्तर । सूदम, व्याजोक्ति, वक्रोक्ति, स्वभावोक्ति, भाविक. उदात्त, रावत, प्रेयरा, ऊर्जस्वी, समाहित, भावोदय, भावसन्धि तथा भावसबलता के विवेचन मे किसी वर्ग-विशेष का निर्धारण नहीं किया गया । रुय्यक के अनुसार उपर्युक्त अलकारविवेचन, चित्तवृत्ति, को दृष्टि मे रखकर किया गया है ।
ससृष्टि और संकर को अलकार संश्लेष पर आधृत कहा गया है।
इस प्रकार 'अलकार सर्वस्व' मे 82 अलंकारों का विवेचन उपलब्ध
आचार्य अजितसेन के अनुसार अलंकारों का वर्गीकरण:
इसके पूर्व अलकारों का वर्गीकरण प्रस्तुत किया जाये अलकार चिन्तामणि मे आए हुए अलकारों का उल्लेख करना नितान्त आवश्यक है । आचार्य अजितसेन ने कुल 72 अर्थालकारों का निरूपण किया है । जिसके नाम इस प्रकार है
___410 उपमा, 12 अनन्वय, 13 उपमेयोपमा, 140 स्मरण, 50 रूपक, 16 परिणाम, 70 सन्देह, 8 भ्रान्तिमान, 19 अपह्नव, of उल्लेख, 10 उत्प्रेक्षा, 12 अतिशयोक्ति, 130 सहोक्ति, 140 विनोक्ति, 150 समासोक्ति, 016 वक्रोक्ति, 117 स्वभावोक्ति, 1180 व्याजोक्ति, 19 मीलन, [20f सामान्य, (210 तद्गुण, 1220 अतद्गुण, 123 विरोध, 240 विशेषक, 25 अधिक, 260 विभाव, 27 विशेषोक्ति, 1280 असगति, 290 चित्र, 300 अन्योन्य, 311 सामान्य, 0324 तुल्योगिता, 133 दीपक, 340 प्रतिवस्तूपमा 35 दृष्टान्त, 36 निदर्शना, 1371 व्यतिरेक, 138| श्लेष, 390 परिकर 40f आक्षेप, 4 व्याजस्तुति,
420 अप्रस्तुतस्तुति, 1430 पर्यायोक्ति, 1440 प्रतीप, [45 अनुमान, [46] काव्यलिंग, 1471 अर्थान्तरन्यास, 480 यथासंख्य, 49 अर्थापत्ति, 1500 परिसंख्या, 510 उत्तर, 52 विकल्प, 53 समुच्चय, 540 समाधि, 55 भाविक, 56 प्रेयस्,
तदेते चित्तवृत्तिगतत्वेनालकारा लक्षिता ।
अ0स0 पृ0 - 214
अ०चि0 - 4/8-17