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अतिशय -
अतिशय वर्ग मे उन अलकारों का निरूपण किया गया है जिनमे लोकातिक्रान्त विषयक वस्तु का वर्णन किया जाता है । इस वर्ग मे 12 अलकारों का उल्लेख किया गया है जो इस प्रकार है2.
। पूर्व, 12 विशेष, 13 उत्प्रेक्षा, 4 विभावना, 15 अतद्गुण, 16 अधिक, 17 विरोध, 18 विषम, 19 असगति, 10 पिहित, 1 व्याघात, 012) अहेतु ।
श्लेष:
श्लेष वर्ग मे उन अलकारों का उल्लेख किया गया है जहाँ एक वाक्य से अनेक अर्थों का विनिश्चय किया जाता है ।
श्लेष वर्ग मे 10 अलकारों का निरूपण किया है
if अविशेष, 20 विरोध, 30 अधिक, 14 वक्र, 150 ब्याज, 60 उक्ति, 170 असभव, 18| अवयव, 9 तत्व, (10 विरोधाभास ।
परवर्ती काल में आचार्य रुय्यक ने चित्र चित्तवृत्ति के आधार पर अलकारों का वर्गीकरण प्रस्तुत किया है सभवत इसीलिए आचार्य रुद्रट द्वारा निरूपित अतिशय वर्ग के विरोध, विभावना, असगति, विषम, अधिक और विशेष अलकारों को विरोध वर्ग के अलकारों में परिगणित किया है।
चित्तवृत्ति के आधार पर अलंकारों का वर्गीकरणः
आचार्य रुय्यक ने मानव चित्तवृत्ति के आधार पर अलंकारों का वर्गीकरण प्रस्तुत किया है । इनका वर्गीकरण अधिक वैज्ञानिक तथा महत्त्वपूर्ण है । इन्होंने अलंकारों का वर्गीकरण 7 वर्गों में किया है -
यत्रार्थधर्मनियम प्रसिद्धिबाधाद्विपर्यय याति । कश्चित्वचिदतिलोक स स्यादित्यतिशयस्तस्य ।।
रुद्रट - काव्यालकार 9/1
वही - 9/2 वही - 10/ वही - 10/2