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________________ अथास्ति वाहडोनामधनवान् धार्मिकाग्रणी । गुरपादान् प्रणम्याथ चक्रे विज्ञापना मसौ ।। आदिश्यतामतिश्लाध्य कृत्ययत्रधनव्यये । प्रभुराहालये जैने द्रव्यस्य सफलो व्यय 11 आदेशानन्तर तेनाकार्यत श्रीजिनालय । हेमाद्रिधवलस्तुड गोदीप्यत्कुम्भ महामणि ।। श्रीमता वर्धमानस्यवीभर - द्विम्वमुत्तमम् । यत्तेजसा जिताश्चन्द्र कान्तमणिप्रभा ।। शतैकादशके साष्टसप्ततौ विक्रमार्कत । वत्सराणा व्यतिकान्ते श्रीमुनि चन्द्र सूरय ।। आराधनाविधिश्रीष्ठ कृत्वा प्रायोपवेशनम् । शमपीयूष कल्लोलप्तुतास्ते त्रिदिवययु ।। वत्सरेतत्र चेकेन पूर्णेश्रीदेव सूरिभि । श्रीवीरस्य प्रतिष्ठा स वाह डोकार यन्मुदा ।। इस प्रकार वाग्भट का समय 12वीं शती का पूर्वाद्ध सिद्ध होता है । 'प्रभावक चरित' की ये पक्तियाँ भी वाग्भट के उपर्युक्त कार्यकाल की पुष्टि करती है 1 2 - अणहिल्लपुर प्रापक्ष्माप प्राप्तजयोदय । महोत्सव प्रवेशस्य गजारूढ सुरेन्द्रवत् ।। वाग्भटस्य विहार स ददृशे दृग्रसायनम् । अन्यद्युर्वाग्भटामात्य धर्मान्यन्ति कवासन 11 अपृच्छताáताचारोपदेष्टार गुरू नृप । श्रीमद्वाग्भटदेवाऽपि जीर्णोद्धारमकारयत् शिखीन्दुरविवर्षे 12130 च ध्वजारोपं व्यधापयत् ।। 2 वाग्भटालकार, भूमिका, पृष्ठ 4, डॉ० सत्यव्रत सिह वाग्भटालकार, भूमिका, पृष्ठ 5, डॉ0 सत्यव्रत सिह ।
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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