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हारिकाड
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जल आदि या साधारणत: स्वच्छ और बना है परन्तु साफ बिलकुल नहीं रहतीं, सनके घर हुआ पानी । शुद्धि जीवन के प्रकरण में इस सजावट के सामान से लदे रहेंगे पर, सफाई न तीसरी प्रकार की शुद्धिसे हो विशेप मतलव है। दिखेगी। अंगार का शद्धि से सम्बन्ध नहीं है ।
जीवन की शुध्दि पर विचार करते समय शुद्धि का सम्बन्ध सफाई से है। सफाई अमीर हमें में तरफ को नजर रखना पड़ती है एक गरीब सब रख सकते हैं। 3. भीतर की ओर दूसरे बाहर की ओर । शरीर को
___कही कही तो सामूहिक रूप में अशुद्ध या शरीर से सम्बन्ध रखने वाले पदार्थो की,
जीवन पाया जाता है। जैसे अनेक स्थानों पर इन्द्रियों के विषयो की शुद्धि ब्राह्न शुद्धि है और ग्रामीण लोग गाव के पास ही शौच को वैठते हैं, मनोवृत्तियों की शुद्ध अन्तःशुद्धि है । इन दोनों
रास्तों पर शौच को बैठते हैं, घर के चारों तरफ प्रकार की शुद्धियों से जीवन आदर्श बनता है।
दट्टी आदि मल की दुगंध आती रहती है यह शुद्धि अशद्धि की दृष्टि से जीवन के चार मेद होते
सब अशुद्ध जीवन के चिन्ह है इसे पशुता के हैं। १ अशुद्ध २ वाहाशुद्ध ३ अन्त शुद्ध १ उभय चिह्न समझना चाहिये । शुद्ध । , १ अशुद्ध-(नोशुध) जिनका न तो हृदय शुद्ध प्रामीणों में यह पशुता रहती है सो बात है न रहन सहन शुद्ध है वे अशुद्ध प्राणी है। नहीं है नागरिका में भी यह कम वही होती, एक तरफ तो वे तीन स्वार्थी, विश्वासघाती और कदाचित उसका रूप दूसरा होता है। बाग में कर हैं दूसरी तरफ शरीर से गदे, कपडो से गंदे,
घूमने जायेंगे तो गंदा कर देंगे, जूठन डाल देंगे, खानपान मे गदे हैं। घर की सफाई न करें, जहां
यह न सोचेंगे कि कल यही हमें आना पडेगा, रहें उसके चारों तरफ गंदगी फैला दें, ये पशु ट्रेन में बैठेगे तो भीतर ही थूकेंगे ये सब अशद्ध तुल्य प्राणी 'अशुद्ध प्राणी है । बल्कि अनेक पशु,
जीवन के चिह्न है। इसका गरीबी से या प्रामीसफाई पसन्द भी होते हैं पर ये उनसे भी गय
पता से काई सम्बन्ध नहीं है, ये अमीरो में बीते हैं।
और नागरिकों से भी पाये जाते हैं और गरीबो । कहा जाता है कि इसका मुख्य कारण गरीबी
राणी से और ग्रामीणों में भी नहीं पाये जाते। . है। गरीबी के कारण लोग बेईमान भी हो जाते इसी प्रकार अन्तःशुद्धि का भी अमीरी हैं, जब पैसा ही नहीं है तब कैसे तो सफाई करें गरीची से कोई ताल्लुक नहीं है। यद्यपि ऐसी और कैसे सजावट करें ? .. . मी घटनाएँ होती हैं. जब मनुष्य के पास खाने
इसमें सन्देह नहीं कि गरीबी दुखद है पर को नहीं होता और 'चोरी करता है पर ऐसी अश द्धता का उससे कोई सम्बन्ध नहीं । पाहा. घटना हजार में एकाध ही होती है। वेईमानी शुद्धि के लिये पैसे की नहीं परिश्रम की जरूरत का अधिकाश कारण मुफ्तखोरी और अत्यधिक है। घर को साफ रखना, कचरा चारों तरफ न लोभ होता है। एक गरीव श्रादमी किसी के फैला कर एक जगह एकत्रित रखना, शरीर यहाँ नौकर है या किसी ने मजदूरी के लिये स्वच्छ रखना, कपड़े स्वच्छ रखना, अर्थात उनसे बुलाया है, इससे उसको अधिक नहीं तो रूखी दुर्गध न निकले इसका प्रयाल रखना, इसके रोटी खाने को मिल ही जायगी इसलिये उसे लिये अमीरी जरूरी नहीं है, गरीची में भी इन चोरी न करना चाहिये, पर देखा यह जाता है बातो का ध्यान रखा जा सकता है। अमीरी में , कि जैसे बिच्छू बिना इस बात का विचार किये अंगार के लिये कुछ सुविधा होती है पर श्रृंगार कि यह हमारा शत्रु है या मित्र, अपना बैंक
और सफाई में बहुत अन्तर है। यहुतसी धन- मारता है उसी प्रकार में लोग भी हितैपी के यहाँ वान लिया गहने कपडो से खूब सजी हुई रहती भी चोरी करते है।