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माधक
पिता
मेरी कुटीमें आना माधव, आना मेरे द्वार । सूरत तनिक दिखलाना माधव, आना मेरे द्वार ।
मत देखो मेरा रोना, देखो मत घरका कोना, मैं दूंगा तुम्हें विछौना, तुम मेरे मनपर सोना,
फिर देना अपना प्यार | मेरी कुटीमें आना माधव, आना मेरे द्वार ॥१॥
यह खाट पडी है टूटी, विपदाने कुटिया लूटी, तकदीर हुई यों फूटी, अपनों की सगति छूटी,
तुम हरना मेरा भार । मेरी कुटीमें आना माधव, आना मेरे द्वार ॥२॥
मुरली की तान सुनाना, गीता का गाना गाना, यों कर्मयोग सिखलाना, दुखियों को भूल न जाना ।
तुम करना बेडा पार । मेरी कुटी में आमा माधव, आना मेरे द्वार ॥३॥