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________________ ११८ ] सत्य-संगीत wwwnw. .. monam ओ युवक वीर ओ युवक बीर । किस लिये आज तू है अबीर ॥ ओ युवक वीर ओ युवक वीर । पथ है न अगर तो पथ निकाल । हो गिरि अटवी या भीष्म व्याल || वटता चल चलकर पवन चाल । वढ तु बाधाएँ चीर चीर । ओ युवक वीर ओ युवक वीर ॥ १ ॥ वट वीर प्रलोभन-जाल तोड । विपदाओं की चट्टान फोड ॥ कायरता की गर्दन मरोड । हरले दुनिया की दुख पीर । ओ युवक वीर, ओ युवक वीर ॥ २॥ रख साहस क्यों बनता अनाथ । गवन से है जब तू सनाथ ॥ भगवान सत्य दे रहा साथ । उडता चल बनकर खर समीर । ओ युवक वीर ओ युवक वीर ।। ३॥ कर जाति पॉति जजाल दूर । सारे घमट कर चर चर ॥ सर्वस्त्र त्याग वन प्रेम-पूर । दुनिया की खातिर बन फकीर । आसुक वीर ओ युवक बीर ॥ ४ ॥
SR No.010833
Book TitleSatya Sangit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1938
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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