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सत्य-संगीत
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ओ युवक वीर ओ युवक बीर । किस लिये आज तू है अबीर ॥
ओ युवक वीर ओ युवक वीर । पथ है न अगर तो पथ निकाल । हो गिरि अटवी या भीष्म व्याल || वटता चल चलकर पवन चाल । वढ तु बाधाएँ चीर चीर ।
ओ युवक वीर ओ युवक वीर ॥ १ ॥ वट वीर प्रलोभन-जाल तोड । विपदाओं की चट्टान फोड ॥ कायरता की गर्दन मरोड । हरले दुनिया की दुख पीर ।
ओ युवक वीर, ओ युवक वीर ॥ २॥ रख साहस क्यों बनता अनाथ । गवन से है जब तू सनाथ ॥ भगवान सत्य दे रहा साथ । उडता चल बनकर खर समीर ।
ओ युवक वीर ओ युवक वीर ।। ३॥ कर जाति पॉति जजाल दूर । सारे घमट कर चर चर ॥ सर्वस्त्र त्याग वन प्रेम-पूर । दुनिया की खातिर बन फकीर ।
आसुक वीर ओ युवक बीर ॥ ४ ॥