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________________ आशा का तार आशा का तार अमर रह रे आशाके तार । तू टूटा तो दुनिया टूटी डूबा जग मॅझधार ॥ अमर रह रे आशाके तार ॥१॥ अटके रहते हैं तेरे में सारे जगके प्राण । घोर विपत मे भी करता है तू ही सब का त्राण || न होने देता जीवन भार । अमर रह रे आशाके तार ॥२॥ निधन सवन महात्मा योगी सवको तेरी चाह । तमस्तोममें भी दिखलाता रहता है तू राह ।। साधनो का है तू ही सार । अमर रह रे आशाके तार ॥ ३ ॥ . धन भी जाने जन भी जावे वन जाऊ असहाय । तू न टूटना, भले सभी कुछ टूटे जग वह जाय ॥ निराशा है जीवन की हार । अमर रह रे आशाके तार ॥ ४ ॥ - विपत विरोध उपेक्षा मिलकर करना चाहे चूर । तबतक क्या कर सकते जब तक तू है जीवनमूर ॥ विजय का तू अनुपम आधार । अमर रह रे आशाके तार ॥५॥
SR No.010833
Book TitleSatya Sangit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1938
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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