________________
विवाह ..
[.६९ नहीं; रहने के लिये घर तक नहीं,. लड़की को इससे महान् कष्ट होगा । पुरुषवर्ग का कहना था कि लड़का: अच्छा है पढ़ता है आज नहीं.. तो कल. कमा खायगा । यह भी एक आपत्ति थी कि शाहपुर. . के विवाह का खर्च मेरे पिता न संभाल पायेंगे |. परन्तु पिताजी इस सम्बन्ध पर तुले हुए थे । शाहपुर: मेरी जन्मभूमि, पिताजी का घर, परिचय और रिश्तेदारी का पूरा सुख था। इसलिये यह सम्बन्ध तय हुआ और मुझे सगाई की सूचना भेजी गई । सूचना मिलते ही मैं तड़प उठा । मुझे इस बात का खेद हुआ कि मेरी पढाई छूट जायगी । इसलिये पिताजी को मैंने एक पत्र लिखा उसमें उन्हें खुव फटकारा था, उग्र से उन शब्दों में लिखा था कि मेरे जीवन का वे कैसे सत्यानाश कर रहे हैं एक प्रकार से मेरी. हत्या कर रहे हैं।
यह पत्र मैंने अपने एक साथी को बताया उसने मेरा सारा जोश ठंडा कर दिया । जोश में कुछ दम तो था ही नहीं, उसने पत्र पढकर नाक सिकोड़ी और मैंने पत्र फाड़ कर फेंक दिया और निश्चित दिन घर जा पहुँचा।
यह मैंने सोच लिया था कि अब पाठशाला में: मुझे जगह न मिलेगी । पाठशाला के किसी विद्यार्थी का विवाह नहीं हुआ था । इसलिये समझ लिया था कि पाठशाला में विवाहित को जगह नहीं है। परन्तु जब मैं घर चलने लगा तब पं. गणेश-प्रसादजी ने कहा-अब घर ही मत रह जाना जल्दी चले आना । उनका यह आदेश सुनकर मैं चकित हुआ और अपने ऊपरः यह. विशेष कृपा समझी। उनने तो. यह. अनुरोध साधारण ढंग से ही किया था