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पत्नी वियोग [ २३३
२६ पत्नी वियोग . एक दिन सोकर उठा तो पनीने कहा-आज मेरे दाहिने हाथ में दर्द है। मैंने जरा नजर डालकर कहा-थोडा मालिस करने से अच्छा हो जायगा 1 उस समय कल्पना भी नहीं थी कि यह मौत का दृत है इसलिये कई दिन मालिस करने और सेक करने पर भी अच्छा न हुआ। डाक्टरों के पास लेगया, वैद्यों को दिखाया, सबने कहा गुमड़ा होगा परकर फटकर साफ हो जायगा । कुछ चिन्ता तुई, सोचा कुछ दिन लगेंगे। पर बहुत दिन तक वह पका ही नहीं, किसी ने कहा यह ऐसा फोड़ा है जिसमें मुंह नहीं होता यां भीतर मुँह होता है जरा ग्यरात्र है काफी कर देता है । चिन्ता बढ़ी, पर सिर्फ इसीलिये कि परेशानी लम्बी होगी । अन्त में पुलटिस बाँध बाँधकर पकाया और नस्तर लगवा दिया। अब सोचा चलो पाप कटा, दस पन्द्रह दिनमें भरजायगा । पर अच्छा न हुआ। बाद में हरकिसनदास हास्पिटल में रक्खा अन्छे से अच्छे डारकर ने आपरेशन किया फिर भी अच्छा न हुआ फिर दो बार भापरेशन हुआ हाय और कन्धे में जोड़ की हालिया दोनों तरफ से थोड़ी थोड़ी काट डाली गई फिर भी अच्छा न हुआ।पर किसी डाक्टर ने यह न बताया कि बीमारी क्या । घार बना ही रहा। इसी बीच शान्ता ने कहा-गरी कमर के नीचे दाहिने सरफ कुछ दर्द रहता है। मैंने डाक्टर से कहा : डाक्टर ने कहा-चिन्ता नहीं सब ठीक दो जायगा । उस समय भी मुझे न माम हुआ कि याद भी गतिमा परवाना है ! मानों विधाता को याद माझ्म होगया हो कि इस मामले