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खी शकशे ? अर्थात् नहि नांखी शके. तमारा कहेवा प्रमाणे जीव तो तेमां पण छे पण शरीरना बलनी खामीथी नांखी शकतो नथी. वास्ते शरीरं छे ते ज छे. बीजं कंइ नथी.
केशी महाराजे उत्तर कस्यो जे–कोइ जवान पुरुष छे, वली बलवान् छे पण तेनी पासे जूनी कावड छे तो ते कावडमां भार उठावी शकशे ? अर्थात् नहि उठावी शके. कारण जे कावड भागी जाय तेम जीवनी साथे शरीरनो संबंध छे ते शरीर निर्बल छे, बाल अवस्था छ, तेथी बाण मारी शकतो नथी.
परदेशी राजए प्रश्न कर्यु जे-एक चोरने में जीवतां तोल्यो, ने ते ज माणसने शस्त्र विना मारी नांख्यो, ने में फरी तोल्यो तो तेनुं वजन ओडु वधतुं थयु नहि. तेथी जीव जूदो होय तो तोल ओर्छ थात ते थयु नहि. तेथी जीव जूदो संभवतो नथी.
केशी महाराजे उत्तर कस्यो जे-चामडानी धमण खाली होय तेने तो. लीए ने तेनी मांहि पवन भरीने तोलीए तो तेमां कंइ फेर पडतो नथी, तेम जीब छे तेनुं वजन नथी. कारण जे अरुपी छे माटे घट वध जणाइ नहि.
परदेशी राजाए प्रश्न कयु के-मे एक पुरुषना शरीरमा बधे जीव जोयो ते न जणायो. पछी ककडा करीने जोयो. पछी घणा ज न्हाना ककडा करीने जोयो, पण जीव जणायो नहि. वास्ते जीव जूदो नथी..
केशी महाराजे उत्तर कयों जे–कोइ पुरुषो वनमा गया. त्यां रसोइ करवाने अनि जोइए छीए, ते सारु काष्टना घणा ककडा करीने जोया, पण अग्नि दीठो नाह; त्यारे विलखा थइने बेठा छे. एटलामा तेमांथी एक बुद्धिवंत पुरुष हतो ते बोली उठ्यो जे तमे नाहि धोइ देवनी पूजा करो एटले हुं अग्नि उत्पन्न करी रसोइ तैयार करूं छु. पछी ते पुरुषे वनमा जइ अरणीनुं काष्ट लीधुं. तेना बे ककडा करी एक बीजा साथे घस्या के तुरत अग्नि प्रगट थयो ने रसोइ करीने जम्या. तेम शरीरना ककडा करवाथी