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रुष तो निर्वाण पास्या छे, त्यारे प्रतिमाजीमां तेमना नामनो आरोप करीने भक्ति करवी. जेम आपणा घडीलनी अथवा मान्य पुरुषनी छबी होय छे अन तेना कोइ गुणग्राम करे छे, तो आपणे खुशी थइए छीए अने तेनी कोइ लघुता करे छे तो आपणे दिलगीर थइए छीए. वली हालमा राज्यकर्ता एडवर्ड तथा बीजा गवर्नर जनरल, गवर्नर अने प्रतिष्ठित अधिकारीओनी छत्री तथा बावलांओ स्थानके स्थानके बेसारेलां दृष्टिए पडे छे अने तेम करेलु जोइने ते अधिकारी तथा तेनना उपर प्रीतिभाव धरावनारा लोको राजी थाय छे अने ते अधिकारी पोताने नान मल्यु समजे छे. तेम आपणे पण भगवंतनी मूर्ति बेसारवाथी तेमने मान आपीए छीए. तेमने मान आपबार्नु मन थयुं ते शुम अध्यवसायनुं लक्षण छे अने तेथी जीव म्होर्ट पुन्य उपार्जन करे छे. जेओ जैन नाम धरावीने दुढीआ कहेवाय छे, तेओ प्रतिमाने पुजता नथी. ते तेमनी अज्ञानता छे. तेत्रो जैनशास्त्रने मानवान कहे छे. पण तेओ शास्त्रमा कडु छे तेम करता नथी. आ बाबतना दाखला श्री प्रतिमाशतक ग्रंथां उपाध्याय श्री यशो विजययजीए घणा आपेला छे. तथा समकितशल्योहार नामे ग्रंथ छपायेल छे, तेमां पण घणा दाखलाओ छे. तेथी आर्हि विस्तारथी लखतो नथी. भगवंत विचरता हता ते वखतनी प्रतिष्ठित करेली प्रतिमाजी हालमा विद्यमान छ 'अने ढुंढक मत तो आधुनिक नीकलेलो. छे स्यारे जो प्रतिमा पूजवान अयोग्य होय तो भगवंत थतां केम बने ? त्यार पछी पण घणा आचार्यों थया छे. जेमना उपदेशथी घणा श्रावकोए प्रतिमाजी कराव्यां तया अनेक प्रकारे पूजा करी. गृहस्थावासमा रहेला श्रावकभाइओने भगवंसना गुणग्राम करवा शारू अनुकूलता भरेली जग्या जोइए ते देरासरजी छे अने तेनी अंदर भगवतना गुणर्नु स्मरण थवा सारू जिनबिंबनी स्थापना करेली छे. तेमनी आकृति एवी सौम्य छ के, तेने जोवाथी भगवंतना गुण सांभरे छे. पोताना