________________
(२०३ ) करवी छ. -पछी जेम शुद्धदशा प्रगट थती जाय तेम शुद्ध क्रियानो त्याग करी अक्रिय पद प्रगट यतुं जाय.
प्रश्नः-१४२ ज्ञानीए तो पुण्य पाप बन्ने त्याग करवा योग्य कयां छ; . ने तमे तो एकने छोडी एकने आदरवाजें कहो छो ते केम?
उत्तरः-ज्ञानीए कहुं छे ते सत्य छे. जेम कोलीनी जात चोरी करवानो घंधो करे छे तेथी सामान्य वचने कोलीनी सोबत करवानो त्याग कहेवाय, पण चोरना भयथी रक्षण करवा सारु जो कोलीने वलावो राखीए तो आपणुं रक्षण थाय, ने वलावाए ज्यारे चोरने मारी काल्यो,सारे' निर्भय थया. पछी वलावानो खप नथी त्यारे चोर तथा वलावा बन्नेनो' त्याग थाय. तेम अशुभ प्रवृत्तिने टालवा सारु शुभ करणी रूप वलावो छे ते सर्वे अशुभ प्रवृति टली गया पछी शुभ करणीनो पण त्याग थायः माटे ज्ञानीए बन्ने त्याग करवा कह्या छेते सत्य छे. सर्व काममा आ.. मा अज्ञानपणे अनादि कालनो कापणुं मानी रह्यो छे, ने तेथीज आ- ' माना ज्ञानने आवरण थतां जाय छे ने ज्यारे जीव प्रभुना आगम सांभले छे ने स्पर्श ज्ञान रूप ज्ञान जीवने परिणमे छे, त्यारे आत्माने आत्मा स्वरूप अनुभव गम्य थाय छे त्यारे जाणे छे जे, अहो! म्हारो आत्मा अरूपी, अनंत ज्ञानमय, सर्व भावनो जाणनार, निर्विकल्पज्ञानी, जडभावनुं जे जे कर्चव्य करेलुं छे ते म्हारो स्वभाव नथी. ज्यारे म्हार कर्तव्य नथी सारे तेनो हु को थर्ड ईं ते पण अज्ञानता छे. ए वस्तु अनुकूल प्रतिकूल जेने मले तेमां हु सुख दुःख मानुं हुं ते पण अज्ञानता छे. म्हारो स्वभाव तो जाणवा देखवानो छे ते स्वभावनो हुँ कर्ता र छु ने ते करवा योग्य छे आQ ज्ञान थाय छे. माटे निश्चय नये आ-' त्मा स्वभावनो का छे. व्यवहारे विभावनो कर्त्ता छे. जेम जेम निश्चय गुण प्रगट थाय छे, तेम तेम अशुद्ध व्यवहार त्याग यतो जाय छे ने पर भाव, कर्त्तापणुं टली जाय के अने जेवु आत्मान स्वरूप के तेवू प्रगट 'थाय छे. .