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हैं जो वास्तवमे असत्य हैं मगर तत्वका वस्त्र पहिने हुए हैं।
इन बातोंको मनमें रख कर हम इस बातका मिर्णय करेंगे कि पट् दर्शनों को कहां तक सच्चे तत्योंका पता लगा। प्रथम ही सांख्य दर्शन में निम्न २५ तत्वोंका वर्णन है
(१) पुरुष (जीव )
(२) प्रकृति, जिसमें तोन प्रकारका गुण,
सत्व (बुद्धि)
रजस्, (क्रिया) नमस् (स्थूल ) सम्मिलित हैं ।
( ३ ) मदत, जो पुरुष और प्रकृति के संयोगले उत्पन्न.
होना है
( ४ ) अहंकार ।
( ५-६ ) पञ्च ज्ञान-इन्द्रियां ।
( १०-१४ ) पञ्च कर्म इन्द्रियां - हाथ, पांच, वचन, लिङ्ग,
गुदा ।
(१४-१६) पाच प्रकारकी इन्द्रिय उत्तेजना - स्पर्श, रस आदि जो पाच इन्द्रियोंसे सम्बन्ध रखती हैं ।
( २० ) मन ।
( २१-०५ ) पांच प्रकारके स्थूल भूत-आकाश, वायु, अग्नि, अप, पृथ्वी ।"
इनमें से पहिले दोन तो सदैव हैं शेष २३ उनके संयो गसे विकाश पाते हैं। इस तत्य-गणनाकी योग्यता इस काविल नही है कि जिसकी बुद्धि प्रशंसा कर सके क्योंकि तत्वपन उन