________________
'प्रत्यक्ष और अनुमान ( perception and inference ) दोनोंसे परे है। विला शुबहा सांख्यदर्शनमें अह तीमो प्रमाण माने है मगर वह वेदोंकी अभ्रान्तिको साधारण ही मान लेता है और उसकी अनुमान संबंधी विधियों में उपमान भी गर्मित है जैसे इस उदाहरणमें कि सब आमके वृक्षोंमे वौर अवश्य लगा होगा क्योकि एक वृत्तमे वोर लगा हुआ दिखाई देता है (देखो मि० टीकाराम तातियाका अगरेजी अनुवाद प्रकाश किया हुआसांख्य कारिका अंगरेजी अनुवाद पृष्ठ ३०)। इस हिसावले तो एक कुत्तेको दुम कटी देख कर यह परिणाम भी निकल सकता है कि सब कुत्ते दुमोको पटनाते होंगे।
___ अथ हम तत्वांके विषयको लेते हैं जिनका ठोक निर्णय लिये 'बिना सिद्धान्त या धर्ममें सफलता नहीं हो सकी। तत्वोंका भाव उन्हो मुख्य बातों या नियमोसे है जिनके द्वारा अनुसंधान के विषयका अध्ययन किया जाता है, और उसका निर्णय बुद्धिमत्तानुसार करना आवश्यकोय है अर्थात् वेढंगे तोरसे नहीं परंतु वैज्ञानिक ढंगके फायदा करोनाके मुताविक, क्योंकि धर्मका उद्देश और अभिप्राय जीवोंकी उमति और आततः मुक्ति में है इसलिये उसकी खोज भात्माके गुणों और उन कारणोके, जो उसकी स्वाभाविक स्वतन्त्रता ओर शक्तिको घटा देते हैं और जो उसको सिद्धि प्राप्तिके योग्य कर देते हैं, निर्णय करनेके लिये होती है। सच्चे तत्व इस कारण वही हैं जो जैन सिद्धान्त -में वर्णित हैं अर्थात जीव अजीव इत्यादि शेष तो तत्वाभास