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निरतिवाद को रुपया दे सके पर उसका भी ब्याज न मिल सके। बेकार शालाओ के द्वारा खाना मिल जायगा ।
ख-करीब दस रुपये तक का देन लेन विवाह आदि विशेष अवसरो पर उधार लेने की सरकार की मार्फत के बिना ही हो सकेगा । अधिक जरूरत पड़ती है पर यह मूर्खता बन्द होना का भी हो सकेगा पर वह सरकार मे न माना चाहिये । उधार लेकर उत्सव मनाना ऐसा अपजायगा । जैसे किसी के पास दो लाख की सम्पत्ति राध है जो कानून की मारसे भले ही बच जाता है। सरकार नियम न. २ [का के अनुसार एक हो पर उत्तरदायित्व और विवेकी दृष्टि से जो लाख की सम्पत्ति से अधिक का आधा भाग ले अत्यन्त निन्दनीय है । विवाह के खर्च के लिये लेना चाहे और उसपर यह कहा जाय कि दो अगर तुम्हारे पास कुछ भी नही है तो पाच पडोलाख मे एक लाख तो हमे अमुक आदमी का देना सियो के सामने दोनो का विवाह घोपित कर दो है तो सरकार इसे बहाना ही समझेगी । अगर वह सरकार मे इस की सूचना दे दो। बस, खर्च एक लाख रुपया सरकार के मार्फत लिया होगा तो करने की कोई जरूरत नहीं है । उधार न मिलने सरकार मान्य करेगी।
से बहुत से मूर्खतापूर्ण अनावश्यक खर्च आप ही सरकार की मार्फत लेन देन से एक फायदा बन्द हो जायगे । लोगो को यह बड़ा लाभ होगा। तो यह होगा कि लोग सम्पत्ति छिपाने के लिये ऐसा ग-यह हो सकता है कि किसी को झूठा बहाना न बनायेगे । दूसरा लाभ यह होगा कि व्यापार के लिये पूजी की आवश्यकता हो और दीवानी झगडे प्रायः निःशेप हो जायेंगे । झूठे स्टाप पजी देने के लिये कोई भी पडौसी या परिचित झूठे गवाह आदि के झगडो से लोग बच जायगे। अपरिचित वन्धु उधार न देता हो तो ऐसी
इस समय बेक के द्वारा जैसा लेन देन होता हालत में सरकारी बेक से रुपया उधार मिल है उसी तरह की व्यवस्था तब भी बना दी जायगी सकेगा । इसके लिये उसे अपनी आवश्यकता साथ ही यह शर्त भी रहेगी कि देने वाले और योग्यता और कार्य प्रणाली बताना पडेगी । ऋण लेने वाले बेक पर हाजिर रहे । कुछ अपवादो की चुकाना अनिवार्य होगा । नहीं तो दफा नं. ४ वात दूसरी है।
के अनुसार उसे दडित होना पडेगा । साधारणतः शंका (६) इस प्रकार अगर व्याज लेना यह ऋण १०००) रुपये से अधिक न होगा । बिलकुल बन्द होजायगा तब कोई किसी को रुपया घ-जो आदमी इस प्रकार सरकारी बेक उधार क्यो देगा ? सभी लोग अपना रुपया बेक से रुपया उधार लेगा उने सौ रुपये पर महीने मे मे या घर मे रक्खेगे। पर जीवन मे उधार लेने दो आने ब्याज देना होगा। इस प्रकार सिर्फ की आवश्यकता तो सभी को होती है उनकी असु- 'सरकारी बेक ही ब्याज ले सकेगे सो भी इतनी विधा बढ जायगी । और उधार के बिना कभी मात्रा मे । और किसी को व्याज लेने का अधिकभी भूखो मरने की नौबत आ जायगी । कार न होगा । न खानगी बेक खुल सकेगे ।
समाधान-आज उधार लेने की जितनी सरकारी बेकोको जो ब्याज से आमदनी होगी वह जरूरत पड़ती है उतनी उस समय न पडेगी। बेक के सचालन मे खर्च होगी । फिर भी अगर भूखो मरने की नौबत तो इसलिये न आयगी कि कुछ बचत रही तो बेकार शालाओ के पोपण मे