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________________ १२ ] निरतिवाद निरतिवाद को समझने के लिये ये चार बाते ग-बेकारो को शारीरिक श्रम करने के लिये ध्यान मे रखना चाहिये। तैयार रहना होगा । सूत कातना, कपडे बुनना, १-निरतिवाद, साम्यवादको एक काल्प- मिट्टी आदि की चीजे बनाना, फर्नीचर तैयार निक आदर्श समझता है। पर अव्यवहार्य होने करना, सडके बनाना, गिट्टी बिछाना, खती करना से हानिकारक मानता है। बगीचा करना आदि हर काम के येि तैयार २--पंजीवाद को वह पाप समझता है इस रहना होगा । कठिन काम थोडे समय तक लिया लिये उसे नष्ट या मृतप्राय. कर देना चाहता है। जायगा । गारीरिक गक्ति तथा अन्य योग्यता का ३-वह पंजीपतियो को पापी (विशेष पापी) भी विचार किया जायगा । उनको उद्योग वगैरह नही समझता है परन्तु उनका पंजीपतित्व बढ़ने न भी सिखाया जायगा जिससे उन्हे बाहर काम पावे बल्कि घटकर बेकारो या गरीबाके पोपण मे मिलन मे सुभीता हो । काम आवे ऐसी योजना करना चाहता है। घ-सरकार की यह दृष्टि न रहेगी कि ४-वह पंजीपतियों को एकदम कगाल नही बेकारो के कार्य का बाजारू मूल्य क्या है । कार्य बनाना चाहता परन्तु उनको झटका न लगे इस का मूल्य कुछ भी हो पर बेकारो को भरपेट रोटी प्रकार धीरे धीरे उनके पूंजीपतित्व को सीमित और कपडे का प्रवव करना सरकार का उद्देश्य करना चाहता है। होना चाहिये । सरकार के पास कुछ काम न निरतिवाद के सामाजिक आदि अनेक पहलू हो तो भी कुछ न कुछ काम लेना चाहिये । है, लेकिन ऊपर जो चतु सूत्री दी गई है वह कहावत है किनिरतिवाद के आर्थिक पहलू को ही बताती है। खाली न बैठ कुछ न कुछ किया कर। इस आर्थिक पहलू को साफ साफ समझने के कुछ न हो तो पैजामा उवेड कर शिया कर ॥ लिये उसका भाष्य जरूरी है | अगर किसी राष्ट्र यह कहावत बेकारों के विषय में भी लागू मे निरतिवाद का प्रचार हो तो उस राष्ट्र की रहना चाहिये । जैसे कुछ न हो तो जगल के आर्थिक व्यवस्था कैसी हो, वहा के आर्थिक कानून पत्ते बीन लाओं और लाकर जला दो। यह तो कैसे हो इसका रेखाचित्र यहा खीचा जाता है। एक उदाहरण है असली बात यह है कि वेकारो .१-- बेकारशाला से कुछ न कुछ काम अवश्य लिया जाय । (क) सरकार की ओर से प्रत्येक जिले ङ-साठ वर्ष से अधिक उम्र के बूढो से के भीतर कम से कम दो और अधिक से अविक बेकार शाला मे काम न लिया जाय । या उनसे जितने सम्भव हो, उतने ऐसे केन्द्र हो, जहा सिर्फ देखरेख का काम लिया जाय । परिश्रम बेकारो को रहने का प्रबन्ध हो । वहा उन्हें सावा- लिया जाय तो इतना ही जितना कि उनके स्वास्थ्य रण भोजन और साधारण वस्त्र दिये जाये । और के संभालने के लिये जरूरी हो। इसके बदले मे करीब आठ घटे काम लिया जाय । च-बेकार शाला का अविकारी बेकारों ख-बेकारो को घरसे बेकार-शाला तक को काम ढढने का प्रयत्न करता रहे । जिन को आने और जाने का ग्वर्च सरकारकी तरफ से हो। जरूरत हो वे भी बेकार-गाला से स्थायी अस्थायी
SR No.010828
Book TitleNirtivad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatya Sandesh Karyalay
Publication Year
Total Pages66
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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