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गरुलहुफासपरिणामे अगरलहुफासपरिणामे।
गाम, १८. उष्णस्पर्शपरिणाम, १६. स्निग्वस्पर्शपरिणाम, २०. स्क्षस्पर्णपरिणाम, २१. अगुरुलधुस्पर्शपरिणाम और २२. गुरुलघुस्पर्णपरिणाम।
३. इमोसे णं रयसप्पहाए पुढवीए
अत्थेगइयाणं नेरइयाणं बावीस पलिनोवमाई ठिई पपरणत्ता ।
३. इस रत्नप्रभा पृथिवी पर कुछेक नरयिकों को बाईस पल्योपम स्थिति प्रज्ञप्त है।
४. छट्ठीए पुढवीए नेरइयाणं
उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाई ठिई पण्णता।
४. छठी पृथिवी [तमःप्रभा] पर कुछेक
नैरयिकों की बाईस सागरोपम स्थिति प्रज्ञप्त है।
५. अहेसत्तमाए पुढवीए नेरयाणं
जहण्णणं बावीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता।
५. अघस्तन सातवीं पृथिवी [महातम:
प्रभा] पर कुछेक नरयिकों की जघन्यतः वाईस सागरोपम स्थिति प्रज्ञप्त है।
६. असुरकुमाराणं देवाणं प्रत्येगइयाणं वावीसं पलिनोवमाई ठिई पण्णत्ता।
६. कुछेक असुरकुमार देवों की बाईस
पल्योपम स्थिति प्राप्त है।
७. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अण्यगइ- याणं देवाणं वावीसं पलिमोवमाई ठिई पण्णत्ता।
७. सौधर्म-ईशान कल्प में कुछेक देवों
की वाईस पल्योपम स्थिति प्रज्ञप्त है।
८. अच्चुते कप्पे देवागं उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता।
८. अच्युत कल्प में देवों की वाईम सागरोपम स्थिति प्रनप्त है ।
९. हेडिम हेटिमोवेज्जगाणं देवाणं
जहणणं बावीसं सागरोवमाई ठिई पण्णता।
. अघस्तन-अधोवर्ती ग्रंवेयक देवों की जघन्यतः/न्यूनतः वाईम सागरोपम स्थिति प्राप्त है।
समवाय-सुत्तं
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नमवाय-२२