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८. जम्बुद्वीप द्वीप में चौदह महानदियाँ
पूर्व तथा पश्चिम से लवण समुद्र में समर्पित होती हैं । जैसे कि-- गंगा-सिन्धु, रोहिता-रोहितांसा, हरी-हरीकान्ता सीता-सीतोदा, नरकान्ता-नारीकान्ता, सुवर्णकूला
रुप्यकूला, रक्ता और रक्तवती । । ६. इस रत्नप्रभा पृथिवी पर कुछेक
नरयिकों की चौदह पल्योपम स्थिति
प्रज्ञप्त है। १०. पाँचवीं पृथिवी [धूमप्रभा] पर
नैरियकों की चौदह सागरोपम
स्थिति प्रजप्त है। . ११. कुछेक असुरकुमार देवों की चौदह
पल्योपम स्थिति प्रज्ञप्त है ।
८. जंबुद्दीवेणं दीवे चउद्दस महानईओ पुवावरेणं लवणसमुद्द समति, तं जहागंगा सिंधू रोहिया रोहिअंसा हरी हरिकंता सीना सोओदा नरकंता नारिकता सुवण्णकूला रुपकूला
रत्ता रत्तवई। ६. इमोसे णं रयणप्पहाए पुढवीए
अत्थेगइयाणं नेरइयाणं चउद्दस
पलिग्रोवमाई ठिई पण्णत्ता। १०. पंचमाए णं पुढवीए प्रत्येगइयाणं
नेरइयाणं चउद्दस सागरोवमाइं
ठिई पण्णत्ता। ११. असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइ-
याणं चउद्दस पलिनोवमाई ठिई
पण्णत्ता । १२. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु प्रत्येगइ
याणं देवाणं चउद्दस पलिमोवमाई
ठिई पण्णत्ता। १३. संतए कप्पे देवाणं उक्कोसेणं
चउद्दस सागरोवमाई ठिई
पण्णत्ता । १४. महासुक्के कप्पे देवाणं जहण्णणं
चउद्दस सागरोवमाइं ठिई
पण्णत्ता । १५. जे देवा सिरिकंतं सिरिमहियं
सिरिसोमनसं लंतयं काविळं महिंद महिंदोकतं महिंदुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा, तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं चउद्दस सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता।
१२. सौधर्म और ईशान कल्प में कुछेक
देवों की चौदह पल्योपम स्थिति
प्राप्त है। १३. लान्तक कल्प में कुछेक देवों की
चौदह सागरोपम स्थिति प्रजप्त है ।
चादहन
१४. महाशुक्र कल्प में कुछेक देवों की
जघन्यत:/न्यूनतः चौदह सागरोपम
स्थिति प्रज्ञप्त है। १५. जो देव श्रीकान्त श्रीमहित, श्रीसौम
नस, लान्तक, कापिष्ठ, महेन्द्र, महेंद्रावकान्त और महेन्द्रोत्तरावतंसक विमान में देवत्व से उपपन्न हैं, उन देवों की उत्कृप्टतः चौदह सागरोपम स्थिति प्रजप्त है।
"मवाय-सुत्तं
समवाय-१४