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चउद्दसमो समवानो
चौदहवां समवाय
१. चउद्दस भूअग्गामा पण्णता, तं
जहासुहमा अपज्जत्तया, सुहुमा पज्जत्तया, बादरा अपज्जत्तया, वादरा पज्जत्तया, बेइंदिया अपज्जत्तया, बेइंदिया पज्जत्तया, तेइंदिया अपज्जत्तया, तेइंदिया पज्जत्तया, चरिदिया अपज्जत्तया, चउरिदिया पज्जत्तया, पंचिदिया असण्णिप्रपज्जत्तया, पंचिदिया असणिपज्जत्तया, पंचिदिया सण्णिअपज्जत्तया, पंचिदिया सण्णिपज्जत्तया ।
१. भूतग्राम/जीव-समास चौदह प्रज्ञप्त हैं । जैसे किसूक्ष्म-अपर्याप्तक/अपूर्ण, सूक्ष्मपर्याप्तक/पूर्ण, वादर अपर्याप्तक, बादर पर्याप्तक, द्वीन्द्रिय अपर्याप्तक द्वीन्द्रिय पर्याप्तक, त्रीन्द्रिय अपर्याप्तक, त्रीन्द्रिय पर्याप्तक, चतुरिन्द्रिय अपर्याप्तक, चतुरिन्द्रिय पर्याप्तक, पंचेन्द्रिय असंज्ञी अपर्याप्तक, पंचेन्द्रिय असंज्ञी पर्याप्तक, पंचेन्द्रिय संज्ञी अपर्याप्तक और पंचेन्द्रिय-संजी पर्याप्तक।
२. चउद्दस पुन्वा पण्णत्ता, तं जहाउप्पायपुन्वमग्गेणियं,
च तइयं च वीरियं पुव्वं ।। अत्योनत्थिपवाय,
तत्तो नाणप्पवायं च ॥ सच्चप्पवायपुवं,
तत्तो पायप्पवायपुव्वं च। कम्मप्पवायपुव्वं,
पच्चक्खाणं भवे नवमं ।। विज्जाअणुप्पवायं,
अवझपाणाउ बारसं पुवं । तत्तो किरियविसालं,
पुव्वं तह बिंदुसारं च ।।
२. पूर्व | दृष्टिवाद-अंग-आगम-विभाग
चौदह प्रज्ञप्त है। जैसे किउत्पाद-पूर्व, अग्रायणीय-पूर्व, वीर्यपूर्व, अस्तिनास्ति प्रवाद-पूर्व, ज्ञानप्रवाद-पूर्व, सत्य-प्रवाद-पूर्व, आत्मप्रवाद-पूर्व, कर्म-प्रवाद-पूर्व, प्रत्याख्यान प्रवाद-पूर्व, विद्यानुवाद/पूर्व, अवन्ध्य पूर्व, प्राणावाय-पूर्व, क्रियाविशाल पूर्व और लोक-बिन्दुसारपूर्व।
समवाय-सुत्तं
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समवाय-१४