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________________ बारसमो समवाओ १. बारस भिक्खुपडिमात्र पण्णत्ताश्रो, तं जहामासिश्रा भिक्खुपडिमा, दोमासिना भिक्खुपडिमा तेमासित्रा चाउमासिश्रा पंचमासिश्रा छम्मासिश्रा सत्तमासिश्रा भिक्खुपडिमा भिक्खुपडिमा भिक्खुपडिमा भिक्खुपडिमा भिक्खुपडिमा पढमा सतराइंदिया भिक्खुपडिमा दोच्चा सत्तरइंदिया भिक्खुपडिमा तच्चा सत्तराइंबिना भिक्खुपडिमा अहोराइया भिक्खुपडिमा, एगराइया भिषखुपडिमा । २. दुवालसविहे संभोगे पण्णत्ते, तं जहाउवही सुप्रभत्तपारणे अंजलीपग्गहेति दाणे य निकाए अ अन्भुट्ठाणेति श्रावरे ॥ य । कितिकम्मस्स य करणे, वैयावच्चकरणे इन । समोसरणं संनिसेज्जा य, कहाए अपबंध || समवाय-सुतं re बारहवां समदाय १. भिक्षु प्रतिमाएँ वारह प्रज्ञप्त है । जैसे कि - [एक] मासिक भिक्षु प्रतिमा- ग्रभिगृहीत एक विधि से आहार, दी मासिक भिक्षु प्रतिमा, तीन मासिक भिक्षु प्रतिमा, चार मासिक भिक्षुप्रतिमा, पांच मासिक भिक्षु-प्रतिमा, छह मासिक भिक्षु प्रतिमा, सात मासिक भिक्षु प्रतिमा, प्रथम सप्तरात्रिदिवा भिक्षु प्रतिमा, द्वितीय सप्तरात्रंदिवा भिक्षु प्रतिमा, तृतीय सप्तरात्रिदिवा भिक्षु प्रतिमा, अहीरात्रिक भिक्षु-प्रतिमा एकरात्रिक भिक्षु-प्रतिमा । २. सम्भोग बारह प्रकार का प्रज्ञप्त है । जैसे कि - उपधि / उपकरण, धुत / प्रागम, भक्तपान / भोजन-पानी, मंजली - प्रग्रह / करबद्ध नमन, दान / आदान-प्रदान, निकाचन / श्रामन्त्रण, प्रत्युत्थान/ अभिवादन, कृतिकर्म-करण / नियत वन्दन- व्यवहार, वैयावृत्यकरण / सेवाभाव, समवसरण / धर्ममना, संनिपया / संपृस्ठना, कथा-प्रवन्धन / प्रवचन । ममवाद- १२
SR No.010827
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages322
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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