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________________ कण्हसिरि सुरसरि, पउमसिरि वसुंधरा देवी ॥ च्छिमई कुरुमई, इत्थिरयणाण नामाई ॥ १००. जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वाले इमोसे श्रोसप्पिणीए नव बल होत्या, देव वासुदेव- पितरो तं जहा - १. पावई य बंभे, -- रोद्दे सोमे सिवेति य । महसि अग्गिसिहे, दसरहे नवमे य वसुदेवे ॥ १०१. जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वासे इमोसे प्रोप्पिणीए गव वासुदेव- मायरो होत्या, तं जहा - १. मियावई उमा चेव, पुहषी सीया य श्रम्मा या लच्छितो सेसवती, केकई देवई इय || १०२. जंबुद्दीवे णं दोवे भरहे वासे इमोसे श्रोसप्पिणीए णव बलदेव मायरो होत्या, तं जहा - १. भद्दा तह सुभद्दा य, सुदंसणा । सुप्रभा य विजया य वेजयंती, जयंती णवमिया रोहिणी, चलदेवाण अपराइया ॥ मायरो ॥ १०३. जंबुद्दीवे गं दीवे भरहे वासे इमाए श्रसपिणीए नव दसारमंडला होत्या, तं जहा - समवाय-सुतं वसुन्धरा, १०. देवी, ११. लक्ष्मीमती, १२. कुरुमती । १००. जम्बूद्वीप द्वीप के भरतवर्ष में इस अवसर्पिणी में नौ बलदेवों और नौ वासुदेवों के नौ पिता थे । जैसे कि - १. प्रजापति, २. ब्रह्मा, ३. रुद्र, ४. सोम, ५. शिव, ६. महासिंह, ७. अग्निसिंह, प. दशरथ, ६. वसुदेव । १०१. जम्बूद्वीप द्वीप के भरतवर्ष में इस अवसर्पिणी में नो वासुदेवों की नौ माताएँ थीं, जैसे कि१. मृगावती, २. उमा, ३. पृथ्वी, ४. सीता, ५. ग्रम्वका, ६. लक्ष्मीमती, ७. शेषवती, कैकयी, C. देवकी । ८. १०२. जम्बूद्वीप द्वीप के भरतवर्ष में इस सर्पिणी में नौ बलदेवों की नो माताएँ थीं, जैसे कि -- १. भद्रा, २. सुभद्रा, ३. सुप्रभा, ४. सुदर्शना, ५. विजया, ६. वैजयन्ती, ७. जयन्ती, ८. अपराजिता, ६. रोहिणी । २६१ १०३. जम्बूद्वीप द्वीप के भरतवर्ष में इस raefrut में नौ दशारमण्डल वासुदेव / वलदेव हुए थे, जैसेकि - समवाय- प्रकीर्ण
SR No.010827
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages322
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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