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२५. उसमे णं रहा कोसलिए पंच धणुसयाई उड्ढं उच्चत्तरेणं होत्या ।
२६. भरहे णं राया चाउरतचवकवट्टी पंच धणुसयाई उड्ढ उच्चत्तणं होत्या ।
२७. सोमणस - गंधमायरण- विज्जुप्पहमालवंताणं ववखारपव्वया णं मंदरपव्ययंतेणं पंच-पंच जोयणसयाई उड्ढं उच्चत्तणं, पंचपंच गाउयसधाई उच्चेहेणं
पण्णत्ता ।
२८. सव्वेवि णं वक्खारपव्वयकूडा हरि-हरि सहकूडवज्जा पंच-पंच जोगणसयाई उड्ढं उच्चत्तणं, मूले पंच-पंच जोय रसयाई श्रायामविवखंभेणं पण्णत्ता ।
२९. सव्वैवि णं नंदणकूडा बलकूडवज्जा पंच-पंच जोयणतयाई उड्ढं उच्चत्तणं, मूले पंच-पंच जोयरसवाई श्रायामविवखंभेणं
पण्णत्ता ।
३०. मोहम्मीसाणे कप्पेसु विमाणा पंच पंत्र जोयणसयाई उड्ढ उच्चत्तमं पण्णत्ता ।
३१. मणकुमार मा हिंदेमु विमाणा छन्
मन-मुत
कप्पेमु जोपणसपाई
उच्चणं पत्ता ।
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२५. कौशलिक अर्हत् ऋषभ ऊँचाई की दृष्टि से पांच सौ धनुप ऊँचे थे ।
२६. चातुरन्त चक्रवर्ती राजा भरत ऊँचाई की दृष्टि से पांच सौ धनुप ऊँचे थे ।
२७. सौमनस, गंधमादन, विद्युत्प्रभ और माल्यवत् वक्षस्कार पर्वत मन्दर पर्वत के समीप ऊँचाई की दृष्टि से पांच-पांच सौ योजन ऊँचे तथा पांच-पांच सौ गाउ उद्वेधवाले / गहरे प्रज्ञप्त हैं ।
२८. हरि और हरिस्सह कूटों को छोड़कर सभी वक्षस्कार पर्वत कूट ऊँचाई की दृष्टि से पांच-पांच सौ योजन ऊँचे तथा मूल में पांच-पांच सौ योजन ग्रायाम-विष्कम्भक / विस्तृत प्रज्ञप्त हैं ।
२६. बलकूट को छोड़कर सभी नन्दनवन - कूट ऊँचाई की दृष्टि से पांच-पांच सौ योजन ऊँचे तथा मूल में पांचपांच सौ योजन श्रायाम-विष्कम्भक / विस्तृत प्रज्ञप्त हैं ।
३०. मीधर्म और ईशान कल्पों में विमान ऊँचाई की दृष्टि से पांच-पांच सौ योजन ऊँचे प्रज्ञप्त हैं ।
३१. मनत्कुमार और माहेन्द्र कल्पों में विमान ऊँचाई की दृष्टि से छह सी योजन ऊँने प्रज्ञप्त हैं ।
समवाय- शतीतर