________________
पपातिक, सूर्य-संचार, नेमि के वादी, आनत आदि विमान, विमलवाहन, ग्रैवेयक विमान, हरिकूट, यमक-पर्वत, नेमि-आयु, पार्श्व के केवली, अन्तेवासी, पद्मद्रह, अनुत्तरोपपातिक विमान, पार्श्व के वैक्रिय, महापद्मद्रह, तिगिच्छदह, सहस्रार-कल्प के विमान, हरिवर्प, जम्बूद्वीप, लवण समुद्र विस्तार, पार्श्व की श्राविकाएं, धातकोखण्ड, भरत, माहेन्द्र कल्प, अजित के अवधिनानी, पुरुपसिंह, ऋषभ से महावीर का अन्तर ।
२०७ दुवालसंग-समवानो/द्वादशांग-समवाय
__ द्वादशांग-नाम, आचार, सूत्रकृत, स्थान, समवाय, व्याख्याप्रज्ञप्ति, ज्ञाताधर्मकथा, उपासकदशा, अन्तकृद्दशा, अनुत्तरोपपातिकदशा, प्रश्नव्याकरण, विपाकश्रुत, दृष्टिवाद, गणिपिटक की विराधना, आराधना का फल, गरिणपिटक की त्रैकालिक नित्यता। पइण्ण-समवायो/प्रकीर्ण-समवाय
राशि, पर्याप्तापर्याप्त, आवास, स्थिति, शरीर-अवधि, वेदना, लेश्या, आहार, आयुवन्ध, उत्पाद-उद्वर्तना-विरह, आकर्ष, संहनन-संस्थान, वेद, समवसरण, कुलकर, तीर्थकर, चक्रवर्ती, वलदेव, वासुदेव, ऐरवततीर्थकर, भावी तीर्थकर, भावी चक्रवर्ती, भावी वलदेव-वासुदेव, ऐरवत क्षेत्र के भावी तीर्थकर, चक्रवर्ती बलदेव-वासुदेव ।
२५७
२१९