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३. एगमेगे णं अहोरते तीसं मुहुत्ता मुहुत्तग्गेणं पण्णत्ते । एएसि गं तीसाए मुहुत्ताणं तीसं नामधेज्जा पण्णता, तं जहारोहे सेते मित्ते वाऊ सुपीए अभियंदेमाहिदे पलंबे बंभे सच्चे प्राणदे विजए वीससेणे वायावच्चे उवसमे ईसाणे तिळे भावियप्पा वेसमणे वरुणे सतरिसभे गंधवे अग्गिवेसायणे प्रातवं प्रावधं तवे भूमहे रिसमे सन्वट्ठसिद्ध रक्खसे।
३. प्रत्येक अहोरात्र मुहूर्त के परिमाण
से तीस मुहूर्त का होता है। इन तीस मुहूर्तों के तीस नाम प्रज्ञप्त हैं। जैसे किरौद्र, श्रेयान्, मित्र, वायु, सुपीत, अभिचन्द्र, माहेन्द्र, प्रलम्ब, सत्य, आनन्द, विजय, विश्वसेन, प्राजापत्य, उपशम, ईशान, त्वष्टा, भावितात्मा, वैश्रमण, वरुण, शतऋषभ, गन्धर्व, अग्निवश्यायन, आतप, पाव्यध, तष्टप, भूमह, ऋपभ, सर्वार्थसिद्ध, राक्षस ।
४. अरे णं परहा तीसं घणुइं उड्ढे उच्चत्तणं होत्या।
४. अर्हत् अर ऊंचाई की दृष्टि से तीस
धनुष ऊँचे थे।
५. सहस्सारस्स णं देविदस्स देवरण्णो तीसं सामाणियसाहस्सीमो पण्णतायो।
५. सहस्रार के देवेन्द्र देवराज के तीस
हजार सामानिक देव प्रज्ञप्त थे।
६. पासे गं अरहा तीसं वासाई अगार मज्झे वसित्ता अगारामो अणगारियं पव्वइए।
६. अर्हत पार्श्व ने तीस वर्ष तक अगार
मध्य रहकर, अगार से अनगारप्रव्रज्या ली।
७, समरणे भगवं महावीरे तीसं वासाइं प्रागारमज्झे वसित्ता अगारामो अणगारियं पन्वइए।
७. श्रमण भगवान महावीर ने तीस वर्ष तक अगारमध्य रहकर, अगार से अनगार प्रव्रज
८. रयरगप्पहाए णं पुढवीए तीसं निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता।
८. रत्नप्रभा पृथ्वी पर तीस शत-सहस्र/ लाख नरकावास प्रशप्त हैं।
६. इमोसे णं रयणप्पहाए पुढवीए
प्रत्येगइयाणं नेरइयाणं तीसं पलिमोवमाई ठिई पण्णत्ता।
६. इस रत्नप्रभा पृथिवी पर कुछेक नरयिकों की तीस पल्योपम स्थिति प्रज्ञप्त है।
समवाय-सुत्तं
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ममयाय-३०