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________________ छन्वीसइमो समवायो छब्बीसवां समवाय १. छन्वीसं दस-कप्प-ववहाराणं उद्दे- सणकाला पण्णत्ता, तं जहादस दसाणं, छ कप्पस्स, दस ववहारस्स। १. दश (दशाश्रुतस्कन्ध) वृहत्कल्प और व्यवहार के छब्बीस उद्देशनकाल प्रज्ञप्त हैं। जैसे किदशा के दश, कल्प के छह और व्यवहार के दण । २. प्रभवसिद्धियारणं जीवाणं मोहणिज्जस्स कम्मस्स छन्वीसं कम्मंसा संतकम्मा पण्णत्ता, तं जहामिच्छत्तमोहणिज्जं सोलस कसाया इत्यावेदे पुरिसवेदे नपुंसकवेदे हासं परति रति भयं सोगो दुगुंछा। . ३. इमोसे रणं रयणप्पहाए पुढवीए प्रत्येगइयाणं नेरइयाणं छन्वीसं पलिनोवमाई ठिई पण्णता। ४. अहेसत्तमाए पुढवीए प्रत्येगइयाणं नेरइयाणं छन्वीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। २. अभव-सिद्धिक जीवों के मोहनीय ___ कर्म की कर्मसत्ता के कर्माश/कर्म प्रकृतियां छब्बीस प्राप्त है । जैसे किमिथ्यात्व मोहनीय, सोलह कपाय, स्त्रीवेद, पुरुषवेद, नपुंसकवेद, हास्य, अरति, रति, भय, शोक, दुगुछा/ जुगुप्सा । ३. इस रत्नप्रभा पृथिवी पर कुछक नैरयिकों की छब्बीस पल्योपम स्थिति प्रज्ञप्त है। ४. अधोवर्ती सातवीं पृथिवी [महातम:प्रभा] पर कुछेक नैरयिकों की छब्बीस सागरोपम स्थिति प्रज्ञप्त है । ५. असुरकुमाराणं देवाणं प्रत्येगइयाणं छव्वीसं पलिग्रोवमाई ठिई पण्णता। ५. कुछेक असुरकुमार देवों की छब्बीस पल्योपम स्थिति प्रज्ञप्त है। ६. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु प्रत्येगइ याणं देवाणं छन्वीसं पलिग्रोवमाई ठिई पण्णत्ता। ६. सौधर्म-ईशान कल्प में कुछेक देवों की छब्बीस पल्योपम स्थिति प्राप्त ममवाय-२६ समवाय-सतं
SR No.010827
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages322
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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