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१५. संतेगइया भवसिद्धिया जीवा, जे
चवीसाए भवग्गहणेह सिज्भिस्सति बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्सति ।
समवाय-मुत्तं
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१५. कुछेक भव- सिद्धिक जीव हैं, जो चौवीस भव ग्रहणकर सिद्ध होंगे, बुद्ध होंगे, मुक्त होंगे, परिनिर्वृत होंगे, सर्वदुःखान्त करेंगे ।
समवाय- २४