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उवासगदसासु
[१-६२
• . "भन्ते" त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वन्दद नमंसइ, २त्ता एवं वयासी। “पट्टणं, भन्ते, आणन्दे समणोवासए देवाणुप्पियाणं अन्तिए मुण्डे जाव पच्चइत्तए ?" __ "नोइणटे समटे गोयमा, आणन्दे णं समणोवासए वहई चासाई समणोवासगपरियागं पाउणिहिद, २त्ता जाव सोहम्मे कप्पे अरुणाभे विमाणे देवत्ताए उववजिहिइ"।
तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता । तत्थ णं आणन्दस्स वि समणोवासगस्स चत्तारि पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता ॥ २॥
तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ पहिया जाव विहरइ ॥ ३३॥
तए णं से आणन्दे समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव पडिलामेमाणे विहरइ ॥ ६४॥
तए णं सा सिवनन्दा भारिया समणोवासिया जाया जाव पडिलामेमाणी विहरइ ॥६५॥
तए णं तस्स आणन्दस्स समणोवासगस्स उच्चावरहि सीलव्वयगुणवेरमणपञ्चक्षणपोसहोववासेहिं अप्पाणं भावमाणस्स चोहससंवच्छराई वीइकन्ताई। पण्णरसमस्स संवच्छरस्स अन्तरा वट्टमाणस्स अन्नया कयाइ पुवरत्ता वरत्तकालसमयंसि धम्मजागरिय जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए चिन्तिए मणोगए सङ्कप्पे समुप्पन्जित्थाएवं खलु अहं वाणियगामे नयरे वहूर्ण राईसर जाव सयस्स वि य णं कुडम्बस्स जाव आधारे । तं एएणं वक्खेवणं अहं नो संचाएमि समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णत्ति उवसंपजित्ताणं विहरित्तए । तं सेयं खलु ममं कल्लं