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मात पितादि भरे पंचन में गावे गहरी गाली है। दे॥१३॥धरम कथा सुनने की को कहे तो कहें का हम ठालीहै ।दे ॥१४॥ आला ढोला सुनें हरषसू नारिभई नखरालीहै।दे। ॥ १५ ॥ जाचक आयें कहे परेंजा नहीं हाथ हम खालीहै ।।दे ॥१६॥ करें कुसोंनआपनों अपुही मूढ प्रथा ये चाली है ॥दे०१७॥चरम कारकें गायबँधे घर बामन के घर छाली है।। आदे०॥ १८॥ प्रगट अविद्या देवी जी ने फूट घरों धर घाली है।।दे०॥१९॥ करो किनारा बुध या जुगते धरम धरण ल्यो झाली है।दे। ॥२०॥ माधव अन होनी नहीं होवें भावी टले न टाली है.।। दे० ॥ २१॥ इति ।।