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धर्मकार्यमें विघ्न उपस्थित करनेवाले अदृश्य जंतु बहुतही शीघ्र दूर हो जाते हैं !
इसके महत्वका अनुभव आप स्वयंही कर लीजीये.
आपके एकता रूप अभेद्य किलेकी प्रौढ दीवारको तोड़नेके लिये यत्न करनेवाले बहुतसे क्षुद्र मनुष्य मुंहके वल गिरे होंगे ! ऐसा मेरा विश्वास हैं. एकताके साम्राज्यमें किसीकी ताकत नहीं जो अपना उलटा. दखल जमा सके ! यदि आप एकताके सच्चे अनुरागी न होते तो यह सौभाग्य आपको कदापि न प्राप्त होता जो कि इस वक्त हो रहा है !
यह मुनिसम्मेलन जैनधर्ममें बहुत दिनके पीछे प्रथमही हुआ है इस सम्मेलनको देख वहुतसे महानुभावोंके चित्तका आकर्पित होना एक स्वाभाविक बात है. परंतु जैन समाजके लिये यह सम्मेलन विशेष हर्पजनक होगा ऐसी मुझे आशा है!
महाशयो ! मुझे फिर कहना चाहिये कि इस कार्यमें जैसी आप लोगोंने सहानुभूति प्रकट की है, वह विशेष प्रशंसनीय है ! यदि ऐसा न होता तो, इस कार्यमें मुझे वह सफलता कदापि न प्राप्त होती जो इस वक्त हुई है. इस लिये आपके इस सद् उद्योग और प्रेमका मैं बहुत आभार मानता हूं.
मुनिसम्मेलनमें पास किये गये प्रस्तावोंमेंसे आचार संबंधी नियम कोई नवीन नहीं हैं. क्यों कि, अपने समुदायमें आचार द्रव्य क्षेत्रकाल और भावके अनुसार जैसा चाहिये गुरु कृपासे प्रायः वैसाही है; परंतु भविष्यमभी कदाचित् कुछ न्यूनता नहो इस लिये ऐसे प्रस्तावोंका पास करना