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जिनेश्वरनी भक्ति भाग २.
जिज्ञासु-पण लोगस्समां तो चोवीश जिनेश्वरनां नामोनुं मूचवन कर्यु छ ? एनो हेतु शुंछे ते मने समजावो.
सत्य-आ काळमां आ क्षेत्रमा जे चोवीश जिनेश्वरो थया एमनां नामोनुं अने चरित्रोतुं स्मरण करवाथी शुद्ध तत्वनो लाभ थाय. वैरागीनुं चरित्र वैराग्य वोधे छे. अनंत चोवीगीनां अनंन नाम सिद्धस्वरूपमा समग्रे आवी जाय छे. वर्तमानकालना चोवीश तीर्थकरनां नाम आ काळे लेबाथी कालनी स्थितिनुंबहु मूक्ष्मज्ञान पण सांभरी आवेछे. जेम एयोनां नाम आ कालमां लेबाय छे, तेम चोत्रीशी चोवीशीनां नाम काल अने चोवीगी फरतां लेवातां जाय छे; एटले अमुक नाम लेवां एम केइ हेतु नथी. परंतु तेओना गुणना पुरुषार्थनी स्मृतिमाटे वर्तती चोवीशीनी स्मृति करवी एम तत्व रयं छे. तेओना जन्म, विहार, उपदेश ए सघर्छ नामनिसेपे जाणी शकायछे. ए वडे आपणो आत्मा प्रकाश पामे छे. सर्प जेम मोरलीना नादी जागृत थाय छे, तेम आत्मा पोतानी सत्य रिद्धि सांभळतां ते मोहनिद्राथी जागृत थाय छे.
जिज्ञासु-मने तमे जिनेश्वरनी भक्ति संबंधी बहु उत्तम कारण कहां. जिनेश्वरनी भक्ति कंड फलदायक नथी एम आधुनिक केळवणीची मने आस्था धई हती ते नाश पामी