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नाना वाळकने आ शिक्षापाठोनु तात्पर्य समजण रुपे सविधि आप
ज्ञानशालाना विद्यार्थिओने शिक्षापाठ मुखपाटे कराववाने वारंवार समजाववा, जे जे ग्रंथोनी ए माटे सहाय लेवी घटे ते लेची एक वे वार पुस्तक पूर्ण शीखी रह्या पछी अवळेथी चलावg. ____ आ पुस्तक भणी हुं धारु छउँके मूज्ञ वर्ग कटाक्ष दृष्टिथी नहीं जोशे वहु उंडा उतरतां आ मोक्षमाला मोक्षना कारणरुप थइ पडशे! मध्यस्थताथी एमां तत्वज्ञान अने शील बोधवानो उद्देश छे. ___ आ पुस्तक प्रसिद्ध करवानो मुख्य हेतु उछरता वाल युवानो अविवेकी विद्या पामी आत्मसिद्धिथी भृष्ठ थायछे ते भृष्ठता अटकाववानो पण छे ' मनमानतुं उत्तेजन नहीं होवाथी लोकोनी मान्यता केवी थशे ए विचार्या वगर आ साहस कर्यु छे, पण हुँ धारु छउँ 'के ते फळदायक थशे. शाळामां पाठकोने भेट दाखल आपवा उमंगी थवा अने जैनशानामां उपयोग करवा मारी भलामण छे, तोज पारमार्थिक हेतु पार पडशे.
बीजी आत्तिनी प्रस्तावना. . . '१ आ ग्रंथ एक स्याद्वाद तत्वाववोध वृक्षतुं वीज छे. तत्व जीज्ञासा उत्पन्न करी शके एवं एमां कंइ अंशे दैवत रघुछे, ए संभावथी कहेवा योग्य छे.