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________________ पार्श्वनाथका चातुर्याम धर्म नितिक, सामाजिक एवं धार्मिक नियम बना दिये और अन्तमें अपनी उँगलियोंसे लिखी हुई दो तख्तियाँ दे दीं। ( Exodus 31, 18 ) उधर मूसा भगवान्के नियम सुन रहा था और इधर लोगोंने अपने सुवर्ण- कुण्डल हारूनके पास ला दिये । हारून ने उन्हें गलाकर एक गायका बछड़ा बना दिया और लोग उसकी पूजा करने लगे । ( यह पूजा मिस्र में चलती थी । ) मूसा सिनाई पर्वत पर से नीचे उतरा और यह सारा मामला देखकर क्रुद्ध हो गया । उसने अपने लेवी गोत्रके लोगोंको औरोंपर धावा बोलनेका हुक्म दिया । उसमें उन्होंने तीन हज़ार लोगोंको कत्ल कर दिया । ( Exodus 32, 28 ) ७० यहोवा देवताका स्वभाव यहोवा केवल यहूदियोंका देवता था; उसे अन्य लोगोंपर कोई दया नहीं आती थी । यहूदियोंको मिस्र से मुक्त करनेके लिए उसने जो अनेक संकट मिस्री लोगोंपर ढाए उनमें अन्तिम यह था कि उनकी और उनके जानवरोंकी प्रथम संतानें मार डाली गई। तभी फैरोने यहूदियों को चले जानेकी अनुमति दी | Exodus 12, 29 ) । उसने मूसाकी मारफत सब यहूदियोंसे कह रखा था कि मिस्री लोगों से जितना कुछ सोना, रूपा और जवाहरात मिल सकें, सब उधार ले रखें। (Exodus 11, 2)। उसके अनुसार वह सब लेकर यहूदी मिस्रसे निकले (Exodus 12, 35 ) । उसने जो नियम बनाये उनमें छोटे-छोटे अपराधोंके लिए भी मार डालने की सज़ा कही गई है। उदाहरण के लिए, जो कोई यहोवाका नाम व्यर्थ लेगा उसे सब लोग संगसार कर दें – पत्थर मारकर मार डालें। (Levitavs 24, 14 ) उसने मिद्यानके सभी पुरुषों और जिन्होंने पुरुष संग किया था ऐसी स्त्रियोंको कत्ल कर डालनेका हुक्म दिया था । परंतु यहूदी सरदारोंने
SR No.010817
Book TitleParshwanath ka Chaturyam Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmanand Kosambi, Shripad Joshi
PublisherDharmanand Smarak Trust
Publication Year1957
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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