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पहला ऋषि आदिम युगकी मानव जातिका एक कबीला किसी वनमें रहता था। अन्य पशुओंका आखेट कर ये लोग उदरपूर्ति करते थे और उन्हीं पशुओंसे अपने रात्रिकालीन विश्रामको निर्विघ्न रखने के लिए पेड़ोंपर मचानें बाँध. कर सोते थे।
धीरे-धीरे वनके सहज खाद्य पशुओं-हिरन, शूकर, भालू आदिकी संख्या बहुत घट गई और भोजनकी उन्हे बहुत कमी पड़ने लगी। आखेटके लिए वे दूर-दूर तक जाकर भी अत्यल्प उपलब्धिके साथ लौटने लगे। भोजनको कमीके कारण उनके शारीरिक बलका ह्रास होने लगा और अपर्याप्त मांसके बटवारेमें उनका पारस्परिक कलह भी बढ़ चला। यह कलह दिन-प्रतिदिन उग्र होता गया और इसके दैनिक संघर्षोमें कबीलेके दुर्बलतर व्यक्तियोंकी जानें भी जाने लगीं। ____ अन्तमें एक दिन कबीले के एक तरुण सदस्यने सुझाव रखा कि भोजनके लिए आखेट-यात्राको एक दिनके लिए स्थगित कर इस समस्यापर मिलकर कुछ सोचा जाय । वन्य पशुओंकी कमी तो एक निश्चित सत्य था, उस दशामें भोजनकी कोई दूसरी व्यवस्था खोजनेका प्रयत्न, करना ही उसकी दृष्टिमें अनिवार्य था।
किन्तु उसके इस सुझावपर अमल करने वाला केवल एक ही व्यक्ति उस सारे कबीले में निकला-वह स्वयं ही। सभी लोग पशुओंकी खोजमें बाहर निकल गये और वह अपने मचानपर चिन्तनमें मग्न बैठा रहा। ____ सन्ध्या होनेपर पक्षियोंके झुण्ड उन वृक्षोंपर बसेरा लेनेके लिए आये। उनमेसे जो सबसे पहला पक्षी उसके शरीरसे टकराया उसे ही