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________________ नया द्रष्टा किसी देशके राजाने एक बार पड़ोसी राजाओंके आक्रमणों और अपहरणोंसे दुखी होकर अपने कुलके आदि पिताका स्मरण किया। कुल-पिता ने उसी रात स्वप्नमें दर्शन देकर उसे सान्त्वना दी और राज्यके छिने हुए भागोंको पुनः प्राप्त करनेका उपाय सुझा दिया । उसने बताया कि देवताओंसे प्राप्त जिस अजेय दण्डके बलपर उसने पृथ्वीका एकछत्र साम्राज्य अपने शासनमें स्थापित किया था वह राजकुलके पिछले शासक, वर्तमान राजाके पिताकी असावधानीसे पृथ्वीके भीतर कहीं खो गया है। उस राज-दण्डको खोजकर हस्तगत कर लेनेपर ही आक्रान्ताओंको पराजित कर खोये हुए साम्राज्यको भी पुनः प्राप्त किया जा सकता है । राजाने अपने इस स्वप्नको चर्चा दरबारके ज्योतिषियोंके सामने की। ज्योतिषियोंने इस स्वप्नको अक्षरशः सार्थक बताया और उस अजेय दण्ड की स्थिति-स्थानका पता लगानेके लिए उन्होंने अपने पत्रे फैला दिये । बहुत-सी गणना करनेके बाद एक ज्योतिषीने बताया कि वह अजेय दण्ड राज-सिंहासनके उत्तरकी ओर डेढ़ सहस्र योजनकी दूरीपर स्थित एक विस्तृत वनके मध्य भागको पृथ्वीको सहस्र योजनकी गहराई तक खोदने पर प्राप्त किया जा सकता है। ___डेढ़ सहस्र योजनको उत्तराभिमुख यात्रा और तदुपरान्त उस स्थल की एक सहस्र योजन तक खुदाई राजकीय साधनोंके लिए कोई सुगम कार्य नहीं था। राजा अपने मन्त्रियों सहित गहरे सोचमें पड़ गया। उस यात्राके लिए अभियानका उपक्रम करनेसे पहले राजाने दरबारके शेष तीन ज्योतिषियोंको भी अपनी-अपनी गणनाएँ प्रस्तुत करनेका आदेश दिया ।
SR No.010816
Book TitleMere Katha Guru ka Kahna Hai Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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