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________________ कुत्तोंके लिए __ एक राजाने अपने राज्यके गुणी एवं प्रतिष्ठित जनोके एक बड़े सम्मेलनका आयोजन किया। इस सम्मेलनसे उसका प्रमुख अभिप्राय यही था कि वह देशकी विशिष्ट जनताके निकटतर सम्पर्कमे आकर उसका अधिकाधिक सहयोग और सम्मान प्राप्त करे । देशके सभी विद्वान्, कलाविद् और श्रेष्ठजनोंके पास उसने निमन्त्रण भेजा और उनसे अनुरोध किया कि वे उस सभामें उपस्थित होकर राजकरोंसे यथायोग्य सम्मान ग्रहण करें। सम्मेलनके निश्चित अवसरपर केवल एकको छोड़ सभी निमन्त्रित जन उपस्थित हो गये । जो एक व्यक्ति उपस्थित नहीं हुआ वह राजनगर के समीप एक अन्य प्रदेशका निवासी था और उस वनमे एक छोटा आश्रम बनाकर रहता था। अपने विशिष्ट विचारोंको दार्शनिकताके लिए वह प्रसिद्ध था और उसकी विचारधाराका कुछ लोगोंपर प्रभाव भी था। इस व्यक्तिकी अनुपस्थितिसे राजाने अपना कुछ अपमान समझा और उसे चिन्ता हुई । अपने दरबारियोसे उसने परामर्श किया। अन्तमे एक दरबारीने राजाको आश्वासन देते हुए कहा 'महाराज, उस आदमीको मैं अच्छी तरह जानता हूँ। उसे बुलाना कोई बड़ी बात नहीं । आज रातों-रात उसे दरबारमे बुलाया जा सकता है। वह स्वयं पयादे पाँव दौड़ा हुआ यहाँ चला आयेगा।' ____ इस दरबारीके परामर्शके अनुसार राजाकी ओरसे एक पत्र उस दार्शनिकके नाम लिखा गया । पत्रका अभिप्राय यही था कि वह तुरन्त ही राजा-द्वारा आयोजित सम्मेलनमें उपस्थित हो; उसे यथेष्ट अन्न, वस्त्र और द्रव्यकी दक्षिणा प्राप्त होगी। इस पत्रको लेकर एक राजदूत उस व्यक्तिकी ओर रवाना हो गया।
SR No.010816
Book TitleMere Katha Guru ka Kahna Hai Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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