SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ घर और घेरा एक राजाने सुन्दर उपवनों और जलाशयोंसे सजा एक विस्तृत प्रदेश अपने किसी सुख अवसरपर ब्राह्मणोंको दान दिया। उस परम रमणीक भूभागपर सौ ब्राह्मणोंने अपनी-अपनी सुविधा और इच्छाके अनुकूल घर बनवा लिये। राजाको दी हुई दक्षिणा गृहनिर्माणके लिए यथेष्ट थी। उस भूखण्डपर अपनी इच्छानुसार जहाँ और जितनी चाहे भूमि प्रत्येक ब्राह्मण ले सकता था। सब घरोंके बन जानेपर एक दिन उस नये उपनिवेशमें गृह-प्रवेशके लिए रक्खा गया। राजा भी उसके आयोजनमे सम्मिलित हुआ। उस उपनिवेशमें ब्राह्मणोंका स्वागत करते हुए राजाने कहा 'आप लोगोंने अपने-अपने घरोंके चारों ओर चहार दीवारी बनाकर जो धरती घेरी है वह बहुत कम है। मैं चाहता हूँ कि आप उसे यथाशक्ति और बढ़ायें । जिस ब्राह्मणकी अपनाई हुई धरती सबसे अधिक होगी वही मेरे पितृगुरुके आदेशानुसार मेरा कुल-पुरोहित होगा।' ___अगले मास राजा उस ब्रह्मपुरीमें फिर गया और देखा कि कुछ ब्राह्मणोंने, जिनकी घेरी हुई भूमि पहले भी अधिक थी, अपनी चहारदीवारियोंको और भी विस्तृत करनेका काम लगा रक्खा था। राजाके सत्कारमें ब्राह्मणोंकी सभा जुड़ी। उस सभामें एक ब्राह्मणने खड़े होकर घोषित किया कि उसकी धरती सबसे अधिक है और इसीलिए वही उस दिनसे राजकुलका पुरोहित है। उस ब्राह्मणके दावेपर सभी ब्राह्मणोंको बड़ा आश्चर्य हुआ । आर्थिक सामर्थ्यमें वह सबसे कम था और उसका घर तथा घेरा भी बहत छोटा था।
SR No.010816
Book TitleMere Katha Guru ka Kahna Hai Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy