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________________ केवल भिक्षा सेनाकी कुछ टुकड़ियां पहुंच चुकी हैं।' कम्बुराजके सम्मुख अपने अश्वसे उतरकर खड़ा हुआ राजकुमार शतवाहन कह रहा था। कम्बुराजने सम्मुख उपस्थित शतवाहनको देखा, फिर दृष्टि धुमाकर अपने दलको पीछेसे घेरनेवाली द्वीपक-सेनाको। ___अगले ही क्षण नीलोपमका मस्तक शतवाहनके चरणोंपर झुक गयापृष्ठ-पार्श्व-वर्ती दृश्यके आतंकसे नहीं; सम्मुख दर्शनके अलौकिक सौम्याकर्षणसे। X एक महान् चक्रवर्ती धर्मोपदेशक भिक्षुके रूपमे शतवाहनका और उसके प्रमुख शिष्य, संघनायक कुलगुरुके रूपमे नीलोपमका नाम, मेरे कथागुरुकी टिप्पणीके अनुसार, अलिखित इतिहासके लेखेमें अंकित है।
SR No.010816
Book TitleMere Katha Guru ka Kahna Hai Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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